अतिक्रमण हटाने या कार्यवाही हेतु प्रशासन ने मोबाइल नंबर क्या जाहिर किए हड़कंप मचा

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मयंक विश्वकर्मा आम्बुआ

शिवराज मामा के बुलडोजर के समाचार जैसे जैसे समाचार पत्रों एवं टीवी आदि पर आते हैं देख पढ़ तथा सुनकर कईयों का कलेजा मुंह में आ जाता है। कब किसका नंबर आ जाए उस पर जिला प्रशासन द्वारा मोबाइल, व्हाट्सएप नंबर जाहिर कर गोपनीयता के साथ जानकारी मांगे जाने के बाद से आस पड़ोसी एक दूसरे को शक की नजर से देखने लगे हैं कि कही कोई प्रशासन को सूचना ना दे दे।

प्रदेश भर में इन दिनों गुंडों, माफियाओं, बदमाशों के खिलाफ यूपी के मुख्यमंत्री श्री योगी जी की तरह मध्य प्रदेश के मुखिया श्री शिवराज सिंह चौहान बुलडोजर मामा बनकर उभर रहे प्रदेश के साथ झाबुआ तथा अलिराजपुर जिला विशेषकर अलीराजपुर जिले के आजाद नगर, जोबट, अलीराजपुर आदि स्थानों पर बीते सप्ताह प्रशासन ने अतिक्रमणकारियों की कमर तोड़ी। उससे संपूर्ण जिले के कस्बा तथा ग्रामीण क्षेत्रों में हड़कंप है। इन क्षेत्रों में ऐसे अनेक नामी-गिरामी शख्सियतें मौजूद है जो कई वर्षों से अपनी धाक जमाऐ बैंठी है। शासन किसी भी पार्टी का रहा हो जिनकी चलती रही है चलती रह रही है अगर अब मामा ने नींद हराम कर दी है।

आम्बुआ कस्बा एक शांतिप्रिय कस्बा रहा है। यहां किसी को किसी के कार्यों में टांग अड़ाने की आदत नहीं है या यूं कहे कि तेरी भी चुप, मेरी भी चुप और अधिक स्पष्ट करें तो यह  कहावत भी चरितार्थ होगी कि सब के नीचे अंधेरा है। बस यही कारण है कि यहां विगत कई वर्षों से अतिक्रमण के नाम पर कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई। एक कारण यह भी है कि यहां के निवासियों, किसी भी पार्टी कार्यकर्ताओं के सरकारी आंकड़ों में कोई गंभीर अपराध आदि नहीं है। जिस कारण प्रशासन की नजर में नहीं चढ़े हैं। मगर अब जबकि प्रशासन ने जिला स्तर से मोबाइल, व्हाट्सएप नंबर जारी कर आम जनमानस से ऐसे लोगों के बारे में गोपनीय जानकारी मांगी है तो कई ऐसे लोग जो कि स्वयं कोई अतिक्रमण न कर सके हिम्मत नहीं जुटा सके मगर मन मसोस कर बैठे रहे हैं कि उसकी सुनेगा कौन और नाम का खुलासा हो जाने पर गांव में बुराई दुस्मनी कौन मोल ले। नाम व नंबर गोपनीय  रखने की प्रशासनिक के बाद शायद अपनी पुरानी भड़ास निकालने का मन बना कर तथा अपने आसपास हुए गैर कानूनी कार्य, निर्माण आदि की जानकारी प्रशासन को दे दे। यही कारण है कि चोर की दाढ़ी में तिनका वाली कहावत के अनुसार आस पड़ोसी भी शक के दायरे में आते नजर आ रहे हैं। अतिक्रमण का डर तथा उससे बचाव के  कयास कुछ इस तरह चर्चा में है कि क्या बीच कस्बे में अतिक्रमण हटेगा? कस्बे के किसी एक कोने से कार्रवाई होगी, सीधे हमारे घर थोड़े ही आ जाएंगे। आएंगे तब हम उन्हें बताएंगे कि हमारा घर या परिवार ही थोड़ी है अतिक्रमण में है और भी देखो उन्हें क्यों छोड़ा जा रहा है आदि चर्चाएं चौराहों तथा यहां वहां होती सुनाई दे जाएगी। अभी तो बस इंतजार है कि प्रशासन विगत वर्षो की तरह इस बार भी  मेहरबान हो जाए और अतिक्रमण हटाने की मुहिम ठंडी पड़ जाए अथवा औपचारिकता की पूर्ति कर प्रशासन को सूचना दी जाए की कार्यवाही की गई।

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