अभा कवि सम्मेलन में कवियों की देशभक्ति -ओजस्वी कविताओं को सुनने देर रात तक जमे रहे रसिक श्रोता

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राज सरतलिया, पारा
पारा। शरद पूर्णिमा महोत्सव पर श्री सार्वजनिक गणेश मण्डल बस स्टैंड के तत्वाधान में स्थानीय बस स्टैंड पर रंगारंग कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कवियों द्वारा किये गए काव्य पाठ ने समां बांधते लोगो को मन्त्र मुग्ध कर दिया। देर रात तक चले इस कवि सम्मेलन में पंकज जोशी देवास ने संचालन किया। कार्यक्रम के सूत्रधार झाबुआ के युवा ओज कवि तुषार राठौड़ ने अपने काव्य पाठ “” सर्व युग माना गया राष्ट्र धर्म सर्वोपरि, बोलो फिर क्यों न लिखूं प्यारे मेरे देश को”” से दर्शकों में जोश भर दिया। धार से आये प्रख्यात कवि एवं लेखक जिन्होंने “अरे द्वार पालो, कन्हैया से कह दो” के लेखक शिव शैलेन्द्र यादव ने अपनी कई सुप्रसिद्ध कविताओं का पाठ किया जिसमे “फैला प्रकाश आज जो आज़ादी के चिराग का इसमे लहू है दोस्तो लाखों सुहाग का, भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव का बलिदान ज़िंदा है, शहीदों की शहादत से हिंदुस्तान ज़िंदा है”” ने ने दर्शको की खूब दाद बटोरी। उन्होंने समुद्र मंथन की अपनी प्रसिद्ध रचना से भाव भर दिए। वहीं श्रृंगार रस की कविता “तेरी आंख में ही छुप जाऊंगा काजल बनकर तू मुझे ढूंढती रहेगी पागल बन कर” सुना कर लोगो के मन मे अपनी छाप छोड़ी।
जबलपुर से आई श्रृंगार रस की कवित्री ने कार्यक्रम में माँ सरस्वती के चरणों मे वंदन करते अपनी सुरीली आवाज से सभी को मोहित कर दिया। राजा भोज की नगरी धार से आये ओजस्वी कवि रूपेश राठौड़ ने देश भक्ति का जस्बा जगाया। खाचरौद से आये हास्य कवि विष्णु विश्वास ने दर्शकों से खूब ठहाके लगवाए। भीकनगांव से आये कवि कृष्णपालसिंह और बाकानेर से आये राहुल तोमर ने भी दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। अंत मे राजस्थान से आये कवि रूपसिंह हाड़ा ने अपनी ओज वाणी से लोगो को जागृत किया। आयोजन को सफल बनाने में चेतन सिंह राजपूत, दर्पण पंचाल, राहुल शर्मा, अंकित चौहान, सुरेश प्रजापत, गौरव कहार, यशवंत कटारा, अर्जुन प्रजापत, धर्मेंद्र प्रजापत, लकी डाबी, शुभम सोनी, लकी बैरागी, गौरव सिंह राजपूत, मयूर बैरागी, परमानंद प्रजापत आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

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