सजा से पहले खुद को मारने की कोशिश मे जुटा था कैदी नं 1025

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सजा होने तक कैदी नंबर “1025” बना जेल कर्मीयों की मुसीबत..॥

अलीराजपुर लाइव के लिऐ वसीम राजा की रिपोर्ट ॥ अलीराजपुर जिला जेल का कैदी नंबर 1025 सदोष मानव वध के मामले मे आरोपी से अपराधी घोषित होने के पहले अलीराजपुर जिला जेल प्रशासन की नाम मे दम कर दिया था..दरअसल “माधुसिंह नामक यह कैदी ” मेजर सुसाइडल डिस्आड॔र” का शिकार था ओर सजा घोषित होने के पहले चार बार खुद को अजब गजब तरीकें मारने की असफल कोशिशे कर चुका है । माधुसिंह अब भी जिला जेल मे है लेकिन खुद को खत्म करने की कोशिश अब वह नही करता ।।

ऐसे आया था माधुसिंह जिला जेल में –अलीराजपुर थाना क्षेत्र के हारसवाट गांव का निवासी माधुसिंह पेशे से शिक्षक है ओर उसे धारा 304 (2) के तहत गिरफ्तार कर 7 अगस्त 2013 को अलीराजपुर जिला जेल भेजा गया था ।तब से लेकर उसने दिसंबर अंत तक 10 साल की सजा घोषित होने तक उसने खुद को चार बार साईलेंट सोसाइड प्रयास के जरिए खुद को मारने की कोशिश की ।

यह था माधुसिंह का खुद को खत्म करने का तरीका–पेशे से सरकारी शिक्षक माधुसिंह ने सबसे पहले 27 जून 2014 को सबसे पहले जेल अधीक्षक आर एस आय॔ से पेट दर्द की शिकायत की । जब चिकित्सालय मे माधुसिंह की जांच की गई तो पेट मे ठोस वस्तुऐ दिखाई थी जब माधुसिंह को इंदोर के एमवाय चिकित्सालय भेजा गया तो वहा 8 जुलाई को जब उसकी सज॔री की गई तो 16 वस्तुऐ उसके पेट के भीतर पाई गई जिसमे पेन, पाना, रेजर पत्ती के टुकडे, लोहे की कीले आदि शामिल थी।इस पर उसकी मानसिक चिकित्सा की गई ओर फिर 13 नवंबर 2014 को उसने फिर से कोट॔ मे ही पैन निगलने की कोशिश की थी, जब उसी दिन उसे फिर जेल लाया गया तो उसने बताया कि वह पहले ही एक पेन निगल चुका है । ओर उसके पहले कुछ नुकीली वस्तु भी निगल चुका है । जेल अधीक्षक स्वीकार करते है कि जेल मे चार बार माधुसिंह आपत्तिजनक ओर जानलेवा धातुऐ निगल चुका है ।

बडा सवाल–जेल मे कैसी है फिर निगरानी–अलीराजपुर जिला जेल मे एक कैदी नुकीली धातुऐ,  पाने, बाल, पैन.कीले, चार बार अलग अलग समय मे निगल गया लेकिन जिला जेल प्रशासन को इसकी जानकारी उसे पेट दर्द होने के बाद मिली..ऐसे मे सवाल उठता है कि आखिर ऐसी किस तरह की निगरानी है जिला जेल अलीराजपुर मे कि जिला प्रशासन को पता ही नही लगा ?

3photo13photo2सजा होते ही बदल गया नजरिया–अलीराजपुर जिला जेल के कैदी नंबर 1025 यानी माधुसिंह ने खुद को खत्म करने के सारे प्रयास तब किये जब तक उसे सजा नही मिली थी लेकिन 10 साल की सजा घोषित होते ही उसका नजरिया बदल गया है अलीराजपुर जिला जेल अधीक्षक आर एस आय॔ कहते है कि उसने जेल प्रशासन के समक्ष स्वीकार किया कि उसे इस बात का वहम बैठ गया था कि उसे आजीवन कारावास की सजा होगी ओर वह कभी शायद जेल से बाहर नही आ पायेगा लेकिन अब उसे पता है कि वह सजा पूरी कर बाहर आ सकेगा लिहाजा अब वह खुद को खत्म नही करेगा ओर सजा काटकर परिवार के बीच जाना चाहेगा ।