मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ
होलिका दहन के पूर्व सात दिनों तक भगोरिया की मस्ती में आदिवासी समुदाय झूमता नजर आया उसके बाद होलिका दहन उपरांत 5 दिनों तक आदिवासी ग्रामीण अपनी मान्यता पूर्ण करने हेतु ढोल मादल की धुन पर राई बुधलिया का स्वांग रख कर गोट मांगते हैं।

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