पूर्व सांसद, पत्रकार, स्वतंत्रता सेनानी कन्हैयालाल वैद्य की प्रतिमा का अनावरण करेंगें प्रदेश उच्चशिक्षा मंत्री मोहन यादव

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रितेश गुप्ता थांदला
प्रखर पत्रकार स्वतंत्रता सेनानी पूर्व सासंद कन्हैयालाल वद्य की 113वीं जन्म जयंती के उपलक्ष्य पर 01 फरवरी को स्थानिय मामा बालेश्वर दयाल बालोद्यान में स्वर्गीय वैद्य की प्रतिमा का अनावरण प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव करेंगे। उक्त प्रतिमा लगाने का संकल्प नगर परिषद थादंला द्वारा एक पूर्व स्वर्गीय वैद्य की स्मृति में आयोजित होने वाली 19वीं व्याखानमाला के अवसर पर नगर परिषद अध्यक्ष बंटी डामोर द्वारा लिया गया था ।
इस अवसर पर कन्हैयालाल वैद्य स्मृति व्याखानमाला आयोजन समिति की ओर पत्रकारिता में वर्तमान चुनौतियां विषय पर 20वीं व्याखानमाला भी सम्पन्न होगी। प्रतिमा अनावरण कार्यक्रम नगर परिषद के तत्वावधान में स्थानिय मामा बालेश्वर दयाल बालोद्यान में ही सम्पन्न होगा। इस अवसर पर मुख्य अतिथि सांसद गुमानसिंह डामोर, भाजपा जिलाध्यक्ष लक्ष्मणसिंह नायक, भाजपा अजा मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष कलसिंह भाबर, प्रदेश मंत्री संगीता सोनी, उज्जैन के पूर्व सांसद सत्यनारायण पंवार, दैनिक अग्निपथ उज्जैन के सम्पादक अर्जुनसिंह चंदेल, पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष नारायण भट्ट, भाजपा मण्डल अध्यक्ष समर्थ उपाध्याय विशेष रूप से उपस्थित रहेंगे। कार्यक्रम में अंचल सहित प्रदेश के पत्रकार एंव गणमान्य नागरिक भाग लेंगे ।
वैद्य की स्मृति में तीसरी पहल
पत्रकार वैघ की स्मृति में पहला कदम प्रदेश की शिवराज सरकार ने उठाया था जिसके अन्र्तगत जनसम्पर्क विभाग की अगुवाई में वर्ष 2008 में कन्हैयालाल वैद्य आचंलिक पुरूस्कार उज्जैन संभाग के लिये प्रतिवर्ष पुरूस्कार राशि एक लाख रूपये दी जाती है । इसी प्रकार दूसरी पहल मोहन यादव अध्यक्षय कार्यकाल में उज्जैन विकास प्राधीकरण ने एक सभागार का नामांकरण वैद्य की स्मृति में किया था। चूंकि वैद्य की जन्म भूमि थांदला रही तथा कर्मभूमि उज्जैन इसीलिये जन्म भूमि पर प्रतिमा स्थापित होना स्वर्गीय वैद्य की स्मृति को चिरस्थाई बनाये रखने की सार्थक पहल नगर परिषद थांदला द्वारा की गई है ।
पत्रकारिता से राज्यसभा में कदम
दिवंगत वैद्य का जन्म 01 फरवरी 1908 को थांदला के दौलतराम वैद्य एवं माता पार्वतीदेवी के यहां हुआ था । जागीरदार परिवार में जन्मे वैद्य की वकालात की सनद रियासत काल में झाबुआ के राजा के प्रजा विरूद्ध व्यवहार को वेदर झाबुआ पुस्तक प्रकाशित करने के परिणाम स्वरूप रियासत में छीन ली गई थी। वे उस जमाने में राजा महाराजा के जुल्म एंव अन्याय के खिलाफ कभी खामोश नही बैंठे। अपनी पत्रकारिता से झाबुआ अंचल के राजा उदयसिंह को गद्दी से उतारा था। बाद में स्वाधीनता आन्दोलन में कूद पडे। परिवार के लोगों को निर्वासन का सामना करना पडा। बाद में वे उज्जैन निवास करने लगे जहां से कल्पवृक्ष व मुम्बई से अखण्ड भारत समाचार पत्र का सम्पादन करने लगे । वैघ 70 से अधिक विभिन्न भाषाओं के समाचार पत्रों के वे संवाददाता थे । आजादी के बाद प्रथम राज्यसभा 1952 के प्रथम सांसद निर्वाचित हुए थे।

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