10 वर्ष पहले खुदाई में निकली थी अष्टधातु से बनी राजाओं के जमाने की तोप; फिर ऐसे होती रही उपेक्षा …

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विपुल पांचाल@ झाबुआ Live

झाबुआ शहर ऐतिहासिक है, सैकड़ो वर्षो की यादे यहां समाई है, कई राजाओ से जुड़ी धरोहर यहां आज भी है, लेकिन यह ऐतिहासिक धरोहर इतिहास के पन्नो में सिमटती जा रही है। इसका जीता जागता उदाहरण एक युवा द्वारा सोशल मीडिया पर शेयर की गई राजाओ के शासनकाल की एक अमूल्य तोप की तस्वीर है। जो जीर्णक्षीर्ण अवस्था में जिला तहसील कार्यालय परिसर में पड़ी हुई थी। हालांकि कुछ जागरूक नागरिको ने इसे लेकर पहल की और फिर इस तोप को एक व्यवस्थित स्थान पर रखने के लिए अधिकारियो से चर्चा की और फिर इसी प्राचीन तोप को कलेक्टोरेट में स्थित बगीचे में रखने के लिए ले जाया गया।
लोगो के बैठने के काम आ रही थी तोप-
गौरतलब है कि 10 वर्ष पूर्व एक मकान की खुदाई में एक अष्टधातु की बनी तोप निकली थी। पूरे झाबुआ जिले में ऐसी तोप कहीं नही है, जो खुदाई के दौैरान मिली थी। इसे तहसील में स्थित संग्रालह में ले ली गई थी, लेकिन विडंबना यह है कि किसी भी जिम्मेदार का ध्यान इस ओर नही गया और वर्षो से यह तोप ऐसे ही धूल खा रही थी। उस पर कोई बैठता तो आसपास पिक व मलमूत्र होता रहता था। बस हर दिन यह तोप अपने अस्तित्व को तलाशती रही, लेकिन इस ओर कोई पहल नही हुई।
फेसबुक अकाउंट पर शेयर की तस्वीर तो इन्होनें की पहल-
आज के दौर में सोशल मीडिया का नकारात्म उपयोग ज्यादा हो रहा है, लेकिन झाबुआ के विकास पांडे नाम युवा ने यह साबित कर दिया कि सोशल मीडिया का सकारात्मक उपयोग भी किया जा सकता है। विकास पांडे ने अपने फेसबुक अकांउट से जब सोशल मीडिया पर तस्वीर को शेयर कर इसे यहां से हटाने की मांग की तो उसके बाद भाजयुमो जिलाध्यक्ष भानू भूरिया ने भाजपा जिलाध्यक्ष लक्ष्मणसिंह नायक के साथ मिलकर इसे यहां से व्यवस्थित जगह लगाने की पहल की। अब इस तोप को कलेक्टोरेट में रखा जाएगा। इसका रंग रोगन करकर इसे सुव्यवस्थित स्थान पर लगाया जाएगा।
आपको बता दे कि झाबुआ 15वीं 16वीं शताब्दी में तीन राज्यो से मिलकर बना था। वीरो की इस धरा में आज भी हजारो वर्ष पुराना इतिहास छिपा हुआ है। अगर सरकार इन धरोहरो का रख रखव करे और इनका प्रचार-प्रसार करे तो इन ऐतिहासिक धरोहरों को एक नया रूप मिल सकता है।

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