विकास नही होगा तो विनाश व भ्रष्टाचार भी नही होगा
मतदाताओं की उपेक्षा भाजपा के पराजय का कारण
थांदला । ल्गातार 15 लोकसभा चुनाव में विजय पताका फहराने वाली कांग्रेस भले ही 16वां लोकसभा चुनाव मोदी लहर में हार बैठी परन्तु उसी 16वी लोकसभा के उपचुनाव में संसद मे अपनी उपस्थिति शानदार तरीके से दर्ज करवाने में पुनः सफल हो गई। साम, दाम, दंड, भेद की सभी नीतियों को अपनाने के बाद भी भाजपा को बुरी तरह से पराजय का सामना करना पड़ा। लोकसभा का यह उपचुनाव भाजपा प्रत्याशी निर्मला भूरिया की हार नही है अपितु मप्र के मंत्रिमंडल की हार है, शिवराजहसिंह सरकार की हार है। संसदीय क्षेत्र के भाजपा नेताओ, जनप्रतिनिधियों के अहम व भ्रष्टाचार की हार है। 2014 में एक लाख आठ हजार से अधिक मतों से विजय का झंडा बुलंद कर खुशियां मनाने वाली भाजपा मात्र 19 माह में 88 हजार से अधिक मतों से पराजित हुई है। संसदीय क्षेत्र के आठों विधानसभाओं मे जीत दर्ज करने वाली भाजपा को सभी विधानसभा क्षेत्रो मे पराजय का मुंह देखना पड़ा है जो यह स्पष्ट करते है कि सभी विधायको ने मतदाताओं का विश्वास खोया है। संसदीय क्षेत्र के दो लाख मतदाताओं ने उन्हे नकार दिया है। 2013 में थांदला विधासभा में भाजपा प्रत्याशी के अहम के चलते भाजपा की जमानत जब्त हुई थी अैर निर्दलीय विधायक के रूप में कलसिंह भाबर ने 7640 मतो से विजय दर्ज कर भाजपा को समर्थन दिया था वे भी अपने क्षेत्र में अपनी लीड गंवा बैठे। थांदला विधानसभा क्षेत्र मे इस उप चुनाव मे कांग्रेस प्रत्याशाी कांतिलाल भूरिया ने 14 हजार से अधिक की लीड हासिल कर मतदाताओं का विश्वास अर्जित किया है।
क्यों बनी ऐसी स्थिति
मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चोहान ने आम जनता व ग्रामीणों के हित में कई कई जनकल्याणकारी योजनाएं लागू की परतु उसका सही व सफल क्रियान्वन होता तो भाजपा की यह दुर्गती नही होती। योजनाओ का लाभ जिन्है मिलना था उन्हे नही मिलते सत्ता से जुड़े बिचोलियों व दलालों ने उठाया और उन्है भाजपा पदाधिकारियों मे सरंक्षण प्रदान कर मिल बांटकर खाने की प्रवृति ने ही मतदाताओं का सशक्त विपक्षी नेता को चुनने की और मजबूर किया। भाजपा के सत्ता मे रहते हुऐ बदनामशुदा माफिया व भ्रष्ट्र तंत्र हावी हो गया और विकास के नाम पर आइ राशि का जमकर दुरूपयोग किया, भ्रष्टाचार किया और स्वयं का विकास व जनता का विनाश किया जिसका नतीजा इस बुरी पराजय के रूप मे सामने आया।
यह रहे पराजय के कारण
थांदला नगरीय क्षेत्र में नगरीय निकाय के चुने जनप्रतिनिधियो ने विकास के नाम पर आऐ षासन व जनता के धन पर खुले डाके डाले जो प्रशासन व लोकायुक्त जांच मे खुलकर उजागर हुऐ परंतु भाजपा ने न केवल ऐसे भ्रष्ट्र तत्वों को संरक्षण प्रदान किया अपितु ऐसे ही लोगो के भरोसे चुनाव में जीत हासिल करने का मूर्खताभरा कदम उठाया। बदनामशुदा व माफिया के नाम से चर्चित भ्रष्ट जनप्रतिनिधियों के निवास पर भाजपा के नेताओं ने चुनावी रणनीति का न केवल अड्डा बनाया अपितु ऐसे तत्वों को ही साथ लेकर जनता के मध्य वोट मांगने निकले जिसका जवाब जनता ने बखुबी दे दिया। कृषि उपज मंडी जैसी आम व्यापारियों व किसानो से जुड़ी संस्था के जन प्रतिनिधि भी भ्रष्टाचार से अछूते नही रहै जिन्होने अपने स्वार्थ के चलते किसानो का हक मारा व व्यापारी वर्ग को परेशान किया जिसका नतीजा भाजपा से जुडे दोनो वर्गाे ने इस उप चुनाव में भाजपा को नकार दिया।
इसलिये नकारा मतदाताओं ने
मुख्यमंत्री की कपिलधारा कूप निर्माण योजना मुख्यमंत्री आवास योजना मे जमकर भ्रष्ट्राचार व भेदभाव ने जहां चुनाव में भाजपा को सबक सिखाया है तो मनरेगा योजना का लाभ व बकाया मजदूरी के भुगतान ने मजदूर मतदाताओं का भाजपा के प्रति मोह भंग किया है। मंहगाई अगर भाजपा को ले डुबी है तो चुने हुऐ जनप्रतिनिधियों, संगठन पदाधिकारीयो द्वारा कार्यकर्ताओ की उपेक्षा भी भाजपा पर भारी रही। ईमानदार सरकार के वादे पर जब बेईमान व चाटुकारों की फौज मौज करने लगी तो हर ईमानदार व्यक्ति ने भाजपा से दूरी बनानी षुरू की जो इस चुनाव मे भाजपा के प्रदेष स्तरिय नेताओ, मुख्यमंत्री की आंखे खोलने के लिए काफी है। भाजपा जनप्रतिनिधियों, पदाधिकारीयों ने मीडिया को भी नही बख्शा व न केवल मीडिया की उपेक्षा करना शुरू किया अपितु उन्है अपमानित करने मे भी कोई कसर बाकी नही रखी। जिस मीडिया को मुख्यमंत्री आदर देते थे उस मीडिया से भी भाजपा के जिम्मेदारो ने भेदभाव बरतते हुऐ दूरी बना ली।
मुख्यमंत्री के स्वर्णिम मप्र, भ्रष्ट्राचार मुक्त मध्यप्रदेष के सपने को निचले स्तर के नेताओं के अहम व सत्ता के नशे मे मदहोशी ने भाजपा को नीचले पायदान पर ला खडा किया है। अभी भी समय है मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चोहान, भाजपा के प्रदेश के संगठन स्तरीय कर्णधार, सत्ता के अहम मे डूबे नेता, विधायक, पदाधिकारी अगर अब भी नही संभले व हर वर्ग की इसी तरह उपेक्षा करते रहे तो 2018 के विधानसभा चुनाव में क्षेत्र के मतदाता बिहार चुनाव जैसी दुर्गति करने से भी नही चुकेगें।
संसदीय क्षेत्र के मतदाता जानते है कि देश व प्रदेश मे सरकारे भाजपा की है विपक्ष के विजय होने से मनचाहा विकास नही होगा परंतु उन्होने विपक्षी कांग्रेस को इसलिऐ चुना है कि विकास नही तो कम से कम विनाश तो नही होगा। जनता की समस्या उठाने वाला, गलत काम को रोकने वाला एक सशक्त विपक्ष तो उनके पास होगा।