लॉकडाउन से इनका कब होगा अनलॉक…? शासन प्रशासन से मदद नहीं मिलने पर रोजी रोटी का संकट गहराया

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मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ

कोरोना महामारी के चलते 24 मार्च से लगा लॉक डाउन अब लगभग खुल चुका है अधिकांश क्षेत्र अब अनलॉक हो गए हैं व्यापारिक प्रतिष्ठान आदि खुल चुके हैं जिस कारण व्यापार व्यवसाय चल निकला है लेकिन वह क्या करें। कब तक बेरोजगारी का जीवन यापन करें परिवार कैसे पाले यह प्रश्न ठंडा एवं पान बीड़ी के साथसाथ अन्य छोटा-मोटा व्यवसाय कर परिवार चला रहे व्यवसाईयो का है। इनके लिए अभी तक ना तो शासन की कोई गाइडलाइन आई और ना ही शासन से कोई आर्थिक मदद ही आई यह अभी तक अपनी दुकानों को लॉक डाउन कर बैठे हैं। लॉक डाउन के बाद अनलॉक होने की घोषणा के साथ ही किराना, हार्डवेयर, होटल, ढाबे, चाय, कॉफी, नाश्ते, कटलरी, रेडीमेड कपड़े आदि के साथ ही ब्यूटी पार्लरए सैलून आदि की दुकानें खुल गई इसके लिए शासन ने जो गाइडलाइन दी थी कि व्यवसाई ग्राहक मास्क लगाए सैनिटाइजर का उपयोग करें सामाजिक दूरी बनाए रखें भीड़ भाड़ ना करें आदि। मगर देखा जा रहा है कि 90 फीसदी से अधिक इसका पालन नहीं कर रहे हैं इस कारण कभी भी क्षेत्र में विस्फोटक स्थिति निर्मित हो सकती है इधर पान बीड़ी के साथ-साथ अन्य जनरल सामान बेचने वालों की दुकानें इसलिए नहीं खोली जा रही है कि वे तंबाकू उत्पाद बेचते हैं जिसके कारण इसको उपयोग करने वाले जहां तहां थुक कर संक्रमण फैला सकते हैं। इसके उत्तर में यही कहा जा सकता है कि यह पिछड़ा क्षेत्र है जहां पर ऐसे नियमों को मनवाना एक टेढ़ी खीर कही जा सकती है। तंबाकू खाने वाले कहीं से भी ढूंढ लेते हैं तथा धड़ल्ले से खाते हैं हुए बाजार में खुलेआम जहां तहां थूकते देखे जा सकते हैं तब यह सब नहीं रुक रहा है तो दुकानें खोलने पर प्रतिबंध क्यों दुकानदारों को तंबाकू उत्पाद बेचने पर भले ही रोक लगा दी जाए। मगर उनकी दुकानों में रोजमर्रा की कई वस्तुएं भरी पड़ी है जो कि खराब हो रही है उन्हें बेचने की इजाजत मिलना चाहिए। साथ ही लॉकडाउन काल में हुई हानि की पूर्ति हेतु छोटे व्यवसायियों को आर्थिक मदद भी देना उचित हो सकता है जिससे कोई अन्य व्यवसाय कर परिवार का भरण पोषण कर सके आम्बुआ में ऐसे लगभग एक दर्जन से अधिक दुकान आज बंद पड़ी उनके व्यवसाई बेरोजगार बैठे हैं।

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