पारा- नगर के इतिहास मे पहली बार अखिल भारतीय विराट कवि सम्मेलन का आयोजन पत्रकार मित्र मण्डल के तत्वाधान मे स्थानिय बस स्टैंड परिसर पर रविवार को शरदोत्सव की पूर्व संध्या पर किया गया ऐतिहासिक रहा हे। देर रात तक चले इस विराट कवि सम्मेलन मे जहा हास्य कवियो ने उपस्थित श्रोताओ को खुब गुद गुदाया। वही वीर रस के कवियो ने माहोल मे उत्तेजना पेदा करते हुए श्रोताओ को वन्दे मातरम् का उदघोष करने को मजबूर किया विश्व विख्यात कवि जगदीश सोलंकी ने अपनी रचना जुबा खामोश रहती हे पर तिरंगा सब बोल देता है जेसी अपनी कई देश व देश की सीमा पर सुरक्षा के लिए तैनात खड़े सैनिको पर ओजस्वी कविता जनता की मांग पर सुनाई व कवि सम्मेलन को एक नया आयाम दिया। वही हास्य सम्राट जानी बेरागी ने अपने तीखे व्यंग्य बाणो से राजनिति, नेता, धर्म संप्रदाय पर निशाना साधते हुए जनता को अपने धर्म को बचाने का संदेश दिया। जगदीश सोलंकी व जानी बैरागी ने बरसते हुए पानी मे अपनी कविताओ का पाठ किया वही श्रोताओ ने भी पानी मे भीगते हुर कविताओ का रसास्वादन किया व कवियो को करतल ध्वनी से भरपूर आशीर्वाद दिया। कवि बलवंत बल्लू, नरेन्द्र नखेत्री, धीरज शर्मा ने भी हास्य व्यंगय के माध्यम से अपनी काव्य यात्रा की शुरुआत करते हुए कवि सम्मेलन को ऊंचाइया प्रदान कि कवि पंकज प्रताप प्रजापती ने भगतसिह सुखदेव आदी शहीदो पर अपनी ओजस्वी कविता सुनाते हुए युवाओ को जोश से भर दिया। टीवी व फिल्मो के गीतकार पुपेन्द्र जोशी पुष्प ने कई बेहतरनी गीत प्रस्तुत किए वही मां से जुडी रचना मिली हे तुमको मां दुनिया मे इस पर अभिमान करो, काफी सराही गई। वही कवित्री डा भुवन मोहीनी ने भी श्रृंगार रस प्रेम मुहोब्बत से जुड़ी अपनी कविताओ से श्रोताओ को सरोबार कर दिया।
करीब डेढ़ बजे के लगभग अचानक बेमासम बारिश के हो जाने के बावजूद श्रोताओ ने पोने तीन बजे तक पानी मे भीगते हुए कवियो को सुना देर रात तक चले इस ऐतिहासिक कवि सम्मेलन मे आसपास के अंचल व झाबुआ जिले के श्रोताओ समेत धार, अलीराजपुर जिले के श्रोताओ ने काव्यगंगा मे डुबकी लगाते हुए शरद पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर बरसते हुए मेघो से सरोबार हो गए।