खुशियो को देश के लिए किया कुर्बान; एक महीने की इबादत के बाद की विशेष नमाज, ईदगाह पर नहीं हुई नमाज

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 भूपेंद्र बरमण्डलिया@मेघनगर

दोपहर की भरी गर्मी में बड़े बुजुर्ग और महिला और बच्चों के साथ मुस्लिम समाज के द्वारा रमजान का चांद देखने के बाद एक माह तक रोजे रखकर ईद उल फितर की नमाज घरों में सादगी से अदा की ।इस दौरान स्थानीय ईदगाह पर ईद की नमाज कोरोना वायरस के कारण नहीं पढ़ी गई ।सैकड़ों की संख्या में मुस्लिम समाज ने अपने अपने घरों में देशहित और आमजन के लिए नमाज पढ़कर दुआओं का सिलसिला जारी रखा गया।मुस्लिम समाज द्वारा स्थानीय लोगों को अपने घर पर इस बीमारी से बचने के लिए व्यक्तिगत तौर पर दुआओं का आग्रह किया गया था।जिसमें मासूम बच्चों ने भी नए नए कपड़े पहनकर खुशियां मनाने के बजाय देश के लिए दुआ मांगी ।बड़ी तादाद में मासूम बच्चों और महिलाओं ने अपने घर के बुजुर्गों के साथ खुदा से दुआ मांग कर इस बीमारी को इस मुल्क से बाहर करने और हमेशा के लिए खत्म करने के लिए विशेष प्रार्थना और दुआ की। मस्जिद अबरार के मौलाना महबूब व मस्जिदे नूर ए मोहम्मदी के पेश इमाम हाफिज रिजवान साहब ने इस दौरान पूरे मुल्क में अमन शांति और इस बीमारी से पूरे मुल्क को निजात मिले, इसके लिए विशेष तौर पर नमाजो के बाद पूरे माह में दुआओं का सिलसिला जारी रखा । ईद की नमाज जैसा कि निर्देश दिया गया था कि 5 लोग पढ़ेंगे उसी निर्देश के के अनुसार नमाज पढ़कर दुआ मांगी गई ।बच्चों का नए नए कपड़े पहन कर किलकारी मारना, मीठी सेवइयां का एक दूसरे के घरों पर आदान प्रदान करना, गले मिलना ,मुसाफा करना और उत्साह के साथ ईदगाह पर जाना, वहां जाकर नमाज पढ़ना ,सभी खुशियां खत्म होकर ।सादगी पुणे माहौल में ईद उल फितर का त्यौहार अपने अपने घरों में मनाया गया ।वहीं दूसरी ओर सभी समाज के लोगों ने अपने अपने दोस्तों को मोबाइल पर ईद की शुभकामनाएं दी।

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