क्या..? विपक्ष में थे तो ही याद आया पीड़ित परिवार, सत्ता में आते ही भूले पीड़ित परिवार को

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सलमान शैख़@ झाबुआ Live
पेटलावद। क्या..? विपक्ष में थे तो ही याद आया पीडि़त परिवार, सत्ता में आते ही भूले पीडि़त परिवार को..यह सवाल वह हर एक पीडि़त परिवार कांग्रेस नेताओ से पूछ रहा है जो विपक्ष में रहकर उनकी आवाज बनकर ब्लास्ट की हर बरसी पर शोकसभा का आयोजन करते रहे, लेकिन सत्ता में आते ही वह आवाज पूरी तरह बंद हो गई।
उल्लेानीय है कि ब्लास्ट की पहली से लेकर तीसरी बरसी तक कांग्रेस की ओर से कई आयोजन हुए। तीसरी बरसी के पहले हुई एक सभा में खुद सीएम कमलनाथ जब सीएम नही थे, तो वह पीडि़तो से मिले और उनसे मिलकर उन्हें आश्वासन दिया कि पेटलावद ब्लास्ट की जांच दोबारा कराएंगे, लेकिन सत्ता में आते ही शायद मुयमंत्री कमलनाथ यह वादा भूल गए।
*गृह मंत्री बाला बच्चन ने कहा था सरकार आ गई हैं फिर से करवाएगें जांच:*
कांग्रेस की सरकार आते ही गृह मंत्री बाला बच्चन के फिर से विस्फोट कांड की नए सिरे से जांच के बयान ने इस मामले को फिर से चर्चा में ला दिया था लेकिन वो भी केवल बयान ही था। दूसरी ओर पीडित के जमों पर आश्वासन रूपी मलहम अभी भी लगा हुआ हैं।
भाजपा सरकार के सीएम रहे शिवराजसिंह ने प्रत्येक पीडित परिवार के घर तक पहुंचकर ढाढस बनाकर परिजनों को ऐसे वादे कर दिए जो शायद सरकार के लिए नामुमकिन थे। यहां भी राजनीति का शिकार विस्फोट पीडित हुए।
*पूर्व सीएम भी रहे थे तीन दिन तक पेटलावद-*
जब ब्लास्ट हुआ तो पूर्व मुयमंत्री और गृहमंत्री स्वर्गीय बाबूलाल गौर सबसे पहले वहां पहुंचे थे, उनके बाद अगले 3 दिनों तक तत्कालीन मुयमंत्री रहे शिवराजसिंह चौहान ने यहां आकर पीडि़तों को ढांढस बंधाई थी, कई जगह उन्हें विरोध का सामना भी करना पड़ा था। उस समय आक्रोश इतना था कि शिवराजसिंह चौहान को सड़क पर बैठना पड़ा था। इसके बाद कई दिनों तक आंदोलन हुए, चक्काजाम किये गए। कांग्रेस ने विपक्ष में रहकर कई बड़े नेताओं को यहां पहुंचाया। यही समझा जाए कि नेता आए तो थे, लेकिन सिर्फ राजनीतिक रोटीयां सेकने। चुनाव थे तो कर दिए वादे, अब उन वादो को भूल गए।
*यह सब हुआ अब तक-*
– सिमी जैसे आतंकी हमले की आशंका भी सामने आई और एनआईए सहित आईबी की टीमें भी पहुंची थी।।
– मानव अधिकार आयोग की टीम, मप्र सरकार द्वारा बनाया गया जांच आयोग ने अपनी जांच की।
– मुयमंत्री कमलनाथ सहित पूर्व मुयमंत्री शिवराजसिंह चौहान के अलावा कई बड़े नेताओ ने यहां पहुंचकर बंधाई थी परिवार की ढांढस
– कांग्रेस ने की थी पहली बरसी और दूसरी बरसी पर शोकसभा
– तीसरी बरसी के 3 दिन पहले सीएम कमलनाथ ने पहुंचकर की थी पीडि़त परिवार से मुलाकात
मंदसौर किसान के मौत 1 करोड ओर पेटलावद विस्फोट मृतकों को केवल 5 लाख:
पीडित परिवार के सदस्य बाबूलाल मुलेवा ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने भेदभाव करते हुए मंदसौर किसान के मौत 1 करोड दिए ओर पेटलावद विस्फोट मृतकों को केवल 5 लाख में संतुष्ट कर नौकरी का झुनझुना पकडाया। ऐसे में कई मृतकों के परिजन अभी भी नारकिय जीवन जीने को मजबूर हैं। कांग्रेस की सरकार से कई उमीदे पीडितों को हैं लेकिन वो कब पूरी होगी यह भविष्य के गर्त में हैं।
*ऐसे मुद्दे जो आज भी जिंदा हैं-*
-क्या राजेंद्र कांसवा जिंदा हैं, यह सबसे बडा प्रश्र खडा हैं
-पूरे मामले की सीबीई जांच नही हुई
-कांसवा के पत्नि, बच्चों का नार्को टेस्ट नही हुआ
-6 पोटली में इंदौर के एमव्हाय चिकित्सालय में पहुंचे वो शव किसके थे इसका खुलासा प्रशासन नही कर पाया
-रहवासियों की शिकायत पर भी प्रशासन ने कोई कार्यवाही क्यू नही की, दोषी अधिकारीयों को केवल नोटिस ही थमाए गए
-विस्फोट के बाद कुछ जिलेटेन बिना विस्फोट के मिले थे, आखिर ऐसा क्यू हुआ
अब यहां सुस्त हैं प्रशासन-
– विस्फोट के बाद प्रशासन मुस्तैदी से जिलेटिन के वैध ओर अवैध व्यापारियों के ठिकानों की जांच में जुटा था तो बडी संती के चलते करीब 3 माह तक यह व्यापार बंद रहा। जिसके बाद प्रशासन ने इस मामले में पूरी तरह ढिलाई बरती ओर यह व्यापार फिर से अवैध तरीके से फल फूल रहा हैं। वो सारी गलतियां जो प्रशासन ने उस वक्त की थी आज भी कि जा रही हैं। प्रशासन के नुमांदे फिर से इसी प्रकार के बडे हादसे का इंतजार कर रहे हैं।

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