झाबुआ / अलीराजपुर live डेस्क ।
हाइकोर्ट द्वारा अध्यापकों की हड़ताल को अवैध करार देने के बाद से उत्साहित प्रदेश सरकार नें अब अध्यापक आंदोलन को कुचलने का मन बना लिया है आज भोपाल के आंदोलन को असफल करने मे कामयाब रही सरकार केवल मुखिया ने अध्यापकों से दो टुक कह दिया है कि अब अध्यापकों से तभी बात होगी जब वह काम पर लौटेंगे । शिवराज ने कहा है कि अध्यापकों के अब तक जो भी किया उन्होंने ही किया है ओर आगे भी करेंगे । लेकिन तरीका अभी उचित नही है ।
आज ऐसे रोका गया अध्यापकों को —
आज अध्यापकों के संयुक्त मोर्चे ने राजधानी भोपाल मे बडे आंदोलन का एलान किया था नतीजा सरकार ने रास्ते मे ही जगह जगह रोकना शुरु कर दिया नतीजा सिर्फ 8 से 10 हजार अध्यापक ही छिपकर भोपाल पहुच पाये । ओर ज्यादतर आदोलनकारी अध्यापक नेताओ को गिरफ्तार कर लिया गया था ओर ज्यादतर को रास्ते से ही जबरन लौटा दिया गया था । साथ ही साथ कल ही सरकार ने हाइकोर्ट के आदेश का हवाला देकर एक आदेश जारी कर अध्यापकों से ड्यूटी ज्वाइन करवाने ओर आंदोलनकारी अध्यापकों के खिलाफ़ कडी कारवाई की चेतावनी दे दी थी । कारवाई के अंतर्गत अवकाश अवधि कायर वेतन ना देना ओर हड़ताल अवधि का अवकाश स्वीकृत ना करना शामिल था । साथ ही साथ सोशल मीडिया के दुरुपयोग करने पर कारवाई की बात आदेश मे कही गयी थी ।
कांग्रेस की इंट्री पर नाराज है शिवराजसिंह —
जानकारों के अनुसार सरकार ओर अध्यापकों के बीच टकराव इतना नही बढता लेकिन आंदोलन के दौरान ही कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव को अध्यापक आदोलन ने तवज्जो दी उससे सीएम नाराज है आज भी अरुण यादव ने अध्यापकों के दमन को आपातकाल से जोड़कर बयान दिया है सीएम का कहना है कि कांग्रेस कां दोर याद क्यो नही करते है अध्यापक जबकि उनकी सरकार ने किया है ओर आगे भी करने कां विचार रखते है ।
भटकाव ओर नेतृत्व के अभाव से आंदोलन मुश्किल दोर में पहुंचा —
अध्यापक आदोलन के दौरान एक बात यह सामने आई कि भले ही सभी संगठन एक होकर सयुंक्त मोर्चे की बात कर रहे हो लेकिन भीतर खाने अभी भी सब एक नही है मुरलीधर पाटीदार का संगठन अभी भी फिजिकली आदोलन से दूर है हाइकोर्ट का आदेश आ चुका है ऐसे मे सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प खुला है लेकिन अभी तक शायद संयुक्त मोर्चा रणनीति तय नही कर पाया है कुछ पदाधिकारी दिल्ली कूच की बात कह रहे थे लेकिन न्यायालय की अवमानना का खतरा अलग मंडरा रहा है ।