घायल राष्ट्रीय पक्षी मोर को लेकर पिता-पुत्र पहुंचे डॉक्टर ने उपचार कर दिया मानवता का परिचय

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भूपेंद्रसिंह नायक, पिटोल
पिटोल से 8 किमी दूर गांव भाजी डूंगरा के जंगल में राष्ट्रीय पक्षी मोर लहूलुहान अवस्था में घायल पड़ा मिला, जिसको जंगल से गुजरने वाले बच्चों ने देखा तब वहां से दूर थोड़ी दूर खेत पर काम कर रहे मनिया पिता खूनजी एवं उसकी परिवार की महिलाओं को घायल मोर के बारे में अवगत कराया तो खूनजी सपरिवार तुरंत उसके पास पहुंचा और उसको वहां पर जहां खून निकल रहा था। प्राथमिक तौर पर कपड़े की पट्टी बांधकर उपचार के लिए पिटोल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर लाया गया जहां स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ डॉ. अंतिम बडोले घायल मोर को डेटॉल वगैरह से साफ कर 8 टांके लेकर खून बंद होने के लिए मलहम पट्टी की जिससे मोर को जीवनदान मिला। उसके पश्चात डॉ. बड़ोले ने बताया कि इस मोर को किसी जंगली जानवर द्वारा घायल किया गया था जिससे उससे काफी मात्रा में खून का रिसाव हो गया था मोर को पिटोल लाने में खूनजी का पुत्र धन्ना का भी साथ में मोटरसाइकिल से लाए थे दोनों बाप बेटे के प्रयास से इस बेजुबान को जीवनदान देने का सार्थक प्रयास किया गया। इसके बाद डॉक्टर बडोले द्वारा फॉरेस्ट विभाग के कर्मचारियों को सूचना देकर घायल मोर को सौंप दिया। वन विभाग की सुरक्षा और देखरेख में वह मोर अभी स्वस्थ है। वहीं आज विश्व मानवता दिवस है। इस अवसर पर डॉक्टर अंतिम बडोले वेटरनरी के डॉक्टर नहीं है वे इंसानों के डॉक्टर हैं फिर भी मानवीय दृष्टिकोण के नाते उन्होंने इस बेजुबान को जीवन दिया है।
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