मार्मिक स्टोरी: आखिर हार गई जिंदगी..हंसता चेहरा एक पल में छोड़ गया साथ…

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Salman Shaikh@ Jhabua Live
पेटलावद। तिनका-तिनका धन जोडकऱ, ईंट दर ईंट खड़ा किया था एक आशियाना। निकला था एक नई खुशी के साथ जिस सपने को संजोने वो सपना बिच राह में हो गया चकनाचूर,,,,,, पथरीली सडक़ लगातार उसके रिसते खून से लाल हो रही थी, हर गुजरता लम्हा उसकी सांसो की डोर काट रहा था और फिर हारकर उसने सडक़ पर ही दम तोड़ दिया। घर में ख़ुशी आने वाली थी, लेकिन इस ख़ुशी के पल जब चंद घंटो में गम में बदल गए और वो ही ख़ुशी आसुओं में बदल गई…परिवार में नई खुशी आने के सपनो के साथ विदा हो गया एक नेकदील और संघर्षशील सेवाभावी नौजवान। किसी एक के जाने से जिंदगी खत्म नही होती, पर ये कोई नही जानता के लाखो के मिल जाने से भी उस एक नेकदील की कमी पूरी नही होती।
बीती रात एक ऐसे ही दर्दनाक हादसे में नगर के एक संघर्षशील युवक की जान चली गई। यह हादसा पेटलावद-रायपुरिया मार्ग पर आसाराम बापू के आश्रम और एक निजी स्कूल के बीच मे हुआ। जहां अक्सर हादसे होते रहते थे।
घर लौट रहा था अपना धंधा करकर-
मोहम्मद रईस उर्फ बाबू पिता नूरमोहम्मद सिसगर (33) जो नगर के राजापुरा मोहल्ले में निवास करता था। शुरू से ही बाबू ने अपने जीवन मे कई इम्तिहानों का सामना किया, लेकिन कभी उसने हार नही मानी। संघर्ष पर संघर्ष करता गया और अपने परिवार को आगे बढ़ाता रहा। गुरुवार को भी वह रोज की तरह गांवों में अपना घरेलू सामान बाइक (एमपी 45 एमएफ 4599) से फेरी लगाकर रायपुरिया की ओर से पेटलावद लौट रहा था तभी रास्ते मे सामने से आ रहे ट्रैक्टर (एमपी 45 एए 5828) ने उन्हें टक्कर मार दी, घटना के बाद उसकी स्थिति गम्भीर थी इसके बाद वहां से गुजर रहे वाहन चालको ने उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया। सभी हादसे के बाद उनकी जिंदगी के लिए दुआ कर रहे थे, लेकिन होनी को यह मंजूर नहीं था। जिंदगी के लिए लड़ते-लड़ते बाबू भाई मौत के आगोश में चले गए। दुआ के लिए उठे हजारों हाथ भी उसकी जिंदगी को नहीं लौटा सके. परिजनों व शुभचिंतकों की प्रार्थना नहीं काम आई। यहां डॉ. केडी मंडलोई और उनकी टीम ने बहुत कोशिश की, लेकिन आखिर में उन्होनें निराश होकर उसे मृत घोषित कर दिया।

चारो ओर पसरा मातम:

यह खबर जैसे ही नगर में फैली तो मानो हर किसी के पैरो तले जमीन ही खिसक गई हो। मौत की खबर सुन पूरे नगर में शोक की लहर दौड़ पड़ी। जब पत्नि सहित अन्य परिवारजनो को इस बात का पता चला तो वे बदहवास हो उठे थे। सभी बिलख गए और उनका रो-रोकर बुरा हाल हो गया।
गमगीन माहौल में जुमे से पहले किए गए सुपूर्दे खाक-
शुक्रवार को सुबह बाबू का पोस्टमार्टम किया गया। इसके बाद शव परिजनो के सुपूर्द किया गया। जुमेे की नमाज से पहले मय्यत को पंपावती नदी स्थित कब्रस्तान में ले जाया गया। जहां नमाजे जनाजा अदा की गई। यहां हर किसी की आंखें नम हो गईं। उनके जनाजे में सैकड़ो की तादाद में लोग पहुंचे। इसके बाद उन्हें गमगीन माहौल में सुपुर्द-ए-खाक किया गया। नगर के सभी गणमान्य नागरिक और जनप्रतिनिधियो ने भावमिनी श्रद्धांजली अर्पित की।
हमेशा याद आओगे बाबू भाई-
बाबू बड़े ही नेकदिल और मिलनसार व्यक्तियों में शामिल थे। जिससे वे मुस्लिम समुदाय के अलावा नगरवासियो के चहेते थे। उनके मित्र उन्हें प्यार से बाबू जलाली पुकारते थे। बाबू अपने व्यवहार से हर युवा के चहेते थे और मुस्लिम समुदाय की रीढ़ भी कहे जाते थे, क्योकि समाज का ऐसा कोई भी कार्यक्रम, त्योहार नही था जिसमें बाबू अपनी पूरा तन-मन नही झौंकता था, बल्कि हर छोटे-बड़े कार्यक्रमो को सफल बनाने में वह अपनी अहम भूमिका निभाता था। उनके दोस्तो ने बताया बाबू हमेशा हमें याद आएंगे। उनकी कमी अब हमें हर जगह खलेगी है। वह एक ऐसे व्यक्ति थे, जो समाज में सभी को साथ लेकर चलते थे। उन्होने कभी किसी का बुरा नही चाहा, लेकिन शायद अल्लाह को कुछ और ही मंजूर था, लेकिन बाबू भाई आप हमेशा हमें याद आओगे।
परिवार में आने वाली थी नई खुशी-
बाबू की दो लड़कियां है। इन दिनो बाबू के यहां एक ओर खुशी आने वाली थी। पत्नि अपने मायके गई हुई थी। इसी खुशी में बाबू हाल ही के दिनो में खुश था, लेकिन अब वह इस खुशी को देखे बिना ही इस दुनिया से रूख्सत हो गए। पत्नि का अब कोई सहारा नही बचा, जो था बस सभी बाबू ही था। अब उसके घर में कोई भी कमाने वाला नही बचा है, लेकिन समुदाय के लोगो ने बाबू के रहते भी उसकी मदद की और अब वह उनके बीच से चले जाने के बाद भी सभी कुछ न कुछ सहायता उसे पहुंचाने की पहल कर रहे है।