पहली बरसात में ही फूटा भ्रष्टाचार का तालाब, सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो, भ्रष्ट कार्य को किया उजागर

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सलमान शैख़@ पेटलावद
इस बार मानसून की पहली बारिश ने ही अंचल में बन रहे तालाबों की गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थिति यह है कि मात्र 4 इंच की बारिश में ही तालाब फूट रहे है। इनमें अधिकतर वे हैं, जिनका निर्माण हाल ही में हुआ था। लिहाजा सवाल उठता है कि कहीं भ्रष्टाचार तो नहीं लील गया तालाबों की गुणवत्ता?
मामूली बारिश में बही उम्मीदें…
पेटलावद विकाखण्ड के ग्राम पंचायत गामड़ी में मनरेगा में 14 लाख की लागत से एक तालाब बनो का कार्य शुरू हुआ था, अब यह तालाब वास्तविकता में पूरा बना या फिर अधूरा है, यह समझ से परे है। जिन्होने यह गड़बड़ी पकड़ी उनका कहना है कि एक माह पहले यह तालाब बना था और जिम्मेदारो का कहना है कि तालाब अभी निर्माणाधीन है। किसकी बात में सच्चाई है यह गहन जांच का विषय है।
कुछ भी हो लेकिन लाखो की लागत का तालाब 2 इंच बारिश नहीं झेल पाया तो जब झमाझम बारिश का दौर शुरू होगा तो हालात का अंदाजा लगाया जा सकता है। ये तालाब ग्राम पंचायत द्वारा बनाया गया था। जो सरपंच ओर सचिव के भ्रष्ट कार्य को उजागर कर रहा है। शासन की मंशा को पलीता लगाते हुए गुणवत्ताविहीन सामग्री से बनाया गया। उनकी इस लापरवाही को आदिवासी अंचल में सक्रिय हो रहे जयस संगठन के कार्यकर्ताओं ईश्वर डामर और राजू डामोर ने उजागर की और मोके पर पहुँचकर एक वीडियो बनाया जो सोशल मीडिया वायरल किया। अब देखना यह होगा कि क्या इस वीडियो से आला अधिकारियों की जु रेंगेगी या यह मामला भी फाइलों में उलझकर रह जायेगा।
जब निर्माणाधीन था, तो कैसे फूट गया तालाब..?-
सरपंच और सचिव की अगर माने तो तालाब अभी पूरा नही बना था, लेकिन अब बड़ा सवाल यह है कि पूरा बनने से पहले ही तालाब का एक जगह का हिस्सा फूट गया, अगर तालाब पूर्णत: भरा जाता, तो फिर वह दृश्य क्या होता, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है। निश्चित तौर पर तालाब जब बनाया गया तब निर्माण की गुणवत्ता को किसी ने न तो परखा और न किसी अधिकारी ने निरीक्षण किया, नतीजा यह निकला कि तालाब अब फूट गया। वहीं अधिकारियो का कहना है कि तालाब निर्माणाधीन है। अभी उसकी राशि भी नही निकल पाई है। पंचायत को उसे पूरा करना है। इसके बाद पूरा पेमेंट किया जाएगा। अब वीडियो में साफ तौर पर दिख रहा है कि तालाब का एक हिस्सा पूर्णत: टूट गया है और मिट्टी-मूरम सभी बह गए। तस्वीरे तो यही साबित करती है कि सरपंच और सचिव की मिलीभगत से ठेकेदार ने खूब गोलमाल किया है, जिसके कारण तालाब पहली बारिश भी झेल नही पाया। ग्रामीणो का आरोप है कि ठेकेदारो और अधिकारियो को फायदा पहुंचाने के लिए इतने बड़े स्तर पर घोटाले किए जा रहे है और विकास मॉडल के नाम पर पेटलावद जनपद को दोनो हाथो से लूटा जा रहा है।
*जिम्मेदारो के जवाब भी पढि़ए-*
इस संबंध में जपं सीईओ महेंद्र घनघोरिया से चर्चा की तो उन्होनें बताया कि यह तालाब हमारे नॉलेज में है कि तालाब निर्माणाधीन है। अभी जो पाल उसकी बनना थी वह नही बन पाई। मेरे पास ऐसी कोई सूचना नही है कि तालाब फूट गया है।
इस संबंध में हमने सरपंच हिंदूसिंह मावी से चर्चा करनी चाही, लेकिन जब हमने पूछा कि तालाब फूटने के पीछे किसकी लापवाही है, तो वह बौखला गए और उन्होनें फोन काट दिया।
जब इस संबंध में हमने सचिव आशीष बैरागी से चर्चा की तो उनका वही जवाब आया जो गलती के बाद हर कोई देता है, कि तालाब अभी बन रहा था, उसका काम पूरा नही हुआ था। जहां से फूटा है, वहां से वापस रिपेयर कर देंगे। इसके बाद उन्होंने फ़ोन बन्द कर लिया।

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