EXCLUSIVE: आखिर में व्यापारी हुए किसानो के आगे पस्त; चुकाई उपज की पूरी राशि, किसानों की हुई जीत

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SALMAN SHAIKH@ JHABUA Live

पेटलावद। पिछले 10 दिन पहले यानि गुरुवार को सामने आए किसानो से उपज लेकर दाम ही देने के मामले ने शनिवार को कोर्ट में दोनों पक्षो द्वारा आरोपीयो से किसानों की उपज की पूरी राशि लौटाने के लिए सामंजस्य बिठाया गया। चूंकि मामला कोर्ट में विचाराधीन है इसलिए अभी दोनो में मध्यस्थता से आपसी समझौता होने में समय लगेगा, क्योंकि कोर्ट की भी अपनी प्रोसेस है जिसे हर किसी को मानना होता है। चाहे बाहरी तौर पर दोनों पक्ष आपसी समन्वय क्यों न बिठा ले।

उल्लैखनीय है कि इस मामले में पेटलावद के व्यापारी निर्मल कुमार मेहता और पुत्र वैभव मेहता सहित सहआरोपी पंकज पटवा जेल में है। अभी केवल पंकज सुपारी की ही जमानत हुई है, लेकिन दूसरी ओर किसानों में उनकी खून पसीने की कमाई मिलने की उम्मीद जागते ही खुशी छा गई हैं। अब वे वापस यह राशि पाकर खेती किसानी में जुट सकते है और जिनसे कर्ज लिया था उन्हें लोटा सकते हैं।

4 लोगो पर दर्ज की थी एफआईआर, 4 अन्य को बनाया था सहआरोपी-

पुलिस ने इस मामले में  फरियादी राजेंद्र पिता गोविंदसिंह राठौर निवासी रामगढ़ की रिपोर्ट पर 4 व्यापारी जिसमें पेटलावद के निर्मल मेहता, उसका पुत्र वैभव मेहता, निलकमल मेहता और एक बामनिया के व्यापारी अशोक पटवा के खिलाफ धारा 420 व 406, 120 बर च 409 भादवि के तहत प्रकरण दर्ज किया। वहीं निर्मल द्वारा अपने बयान में बताए गए अन्य  4 सटोरिये पंकज पटवा, मनीष पटवा, अनुपम पटवा ओर पमपम पटवा को सहआरोपी बनाया था, जिसमे से पंकज तो पकड़ा गया, लेकिन बामनिया के व्यापारी अशोक पटवा ओर नीलकमल मेहता के जैसे ये अन्य तीन सटोरिये भी फरार हो गए है।

इन किसानो के इतने रूपए थे बकाया-

अमरसिंह पिता रामगलाल गामड़ के 26 हजार 467 रूपए, ओमप्रकाश पिता मोहनलाल पाटीदार के 17 हजार 950, शांतिलाल वालचंद पाटीदार के 1 लाख 79 हजार 400, अमृतलाल मालवीय के 45 हजार 558 रूपए, जादुसिंह फतेसिंह मालवीय के 1 लाख 50 हजार, छोगालाल पिता अमरू पाटीदार के 50 हजार 330, रतनलाल पाटदार 4 लाख 80 हजार 619, नंदराम पाटीदार के 1 लाख 79 हजार 390, अंबाराम पिता रामचंद्र पाटीदार के 31 हजार 880, बाबु पिता भूरजी डामर के 10 हजार, दयाराम पिता खिमजी पाटीदार के 45 हजार 808, लालु पिता दयाराम पाटीदार के 34 हजार 557 रूपए, रमेश पिता गंगाराम मैड़ा के 74 हजार 100 रूपए, राजेंद्र पिता गोविंद राठौर के 6 लाख 29 हजार 460, कमलेश पिता बाबू गामड़ के 11 हजार 100 रूपए आरोपियों ने उपज खरीदकर नही लौटाए थे, यह सभी राशि इन आरोपियों द्वारा किसानों को दी जाना है।

किसानो ने दो जगह दिया आवेदन, हम नही चाहते है कार्रवाई-

वहीं शनिवार को दोनो पक्षो में कोर्ट के बाहर आपसी समझौता होने के बाद वे एसडीएम कार्यालय पहुंचे जहां एसडीएम के नाम तहसीलदार मुकेश काशिव को एक आवेदन और पुलिस थाने में एक आवेदन टीआई के नाम दिया। जिसमें बताया गया कि उन्होनें पिछले दिनो उनके साथ हुई धोखाधड़ी के बाद जो आवेदन दिया था वह इसलिए था कि उनकी राशि डूब रही थी। अब व्यापारियो से उनका समझौता हो गया है और अब जो रिपोर्ट उन्होनें पुलिस थाने में दर्ज कराई थी अब अगर वह प्रकरण समाप्त किया जाता है तो उन्होनेंं कोई आपत्ति नही होगी।

किसान यूनियन की रही अहम भूमिका-

इस मुद्दे को आदिवासी अंचल में तेजी से उभरे किसान यूनियन ने उठाकर शासन-प्रशासन को किसानो के सामने घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। इसके बाद एसडीएम के निर्देश पर पुलिस ने इन आरोपियो के खिलाफ मामला दर्ज किया था। किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष महेंद्र हामड़ ने बताया उन्होनें किसानो को उनकी खून-पसीने की कमाई को उन्हें दिलाने के लिए अपनी जी-जान लगा दी, इसी का नतीजा रहा कि व्यापारीयो ने किसानो को उनकी उपज की पूरी राशि देने के लिए मजबूर होना पड़ा। उन्होनें किसानो से अपील की है कि एक बार ठोकर खाने के बाद किसान अब संभले और अपनी उपज को मंडी में ही बेचे। ऐसे धोखेबाज व्यापारियो के झांसे में न आए। किसानो को उनकी उपज दिलवाने के लिए किसान यूनियन के जिला महामंत्री जितेंद्र पाटीदार ने भी अहम भूमिका निभाई। पुलिस थाने से लेकर धरना प्रदर्शन और कोर्ट तक उन्होनें अपना समय निकालकर किसानो के लिए लड़ाई लड़ी, जिससे किसाने को अब उनकी उपज के पैसे मिलने की उम्मीदे बंधी है। उन्होने बताया आज जितनी खुशी उन्हें है उतनी किसी को भी नही होगी, किसान दिन-रात मेहनत कर अपनी उपज को बड़ी करता है और बाद में हर बार उसे कोई न कोई चोट दे ही जाता है। उन्होनें किसानो से अपील की है कि अब सभी किसान एक हो जाए, किसान यूनियन हमेशा उनके साथ है जहां भी जिस समय भी किसानो को यूनियन की जरूरत होगी पूरी यूनियन उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रहेगी।