झाबुआ live के लिऐ ” झकनावदा ” से जितेंद्र राठोड
अटल ज्योति योजना के नाम पर सरकार ओर उसकी विद्युत वितरण कंपनी खुद की पीठ भले ही थपथपा रही है लेकिन जमीनी हालत कुछ ओर है झाबुआ live की टीम ने आदिवासी बहुल झाबुआ जिले की पेटलावद तहसील के तीन गांवो को ” खोजा ” है जहां आजादी के बाद से आज तक बिजली नही है लेकिन सरकारी रिकॉर्ड मे यहां अटल ज्योति योजना चालू है ओर बकायदा बिल भी दिये जा रहे है ।
यह गांव है झाबुआ जिले की सबसे विकसीत तहसील मानी जाने वाली ” पेटलावद” का ” केशरपूरा” । इस गांव के बाशिंदो को आजादी के बाद से आजतक बिजली नसीब नही हुई । उनके बच्चे अंधेरे मे पढते है लेकिन हर महीने बिजली बिल गांव के हर घर मे पहुंचते है इस गांव के बाशिंदो का आरोप है कि उन्हें एक तो बिजली नसीब नही है ऊपर से बिजली बिल भेज कर उनके घाव को कुरेदा जा रहा है ।
अब इसी गांव के इस शख्स ” चैनसिंह” से मिलिए । इन साहब के यहां भी बिजली नही है मगर बिल हर महीने आते है जब इन्हें गांव के पंच का चुनाव विगत कुछ माह पूर्व लडने का इरादा हुआ तो यह बात आडे आई कि बिजली विभाग का कुछ भी बकाया हुआ तो पंच का आवेदन निरस्त हो जायेगा । परेशान चैनसिंह ने 3800 रुपये का बिजली बिल भरा लेकिन बिजली कंपनी को भुगतान लेते शम॔ नही आई । केशरपुरा के अलावा पास के गांव बोरघाटा ओर भेरुपाडा की भी यही कहानी है अब ग्रामीण भाजपा ओर कांग्रेस कां बहिष्कार कर वोट ना देने की बात कह रहे है ।
अब इन तीनो गांव के 1500 से अधिक ग्रामीण बिजली नही तो वोट नही के नारे के साथ आगामी लोकसभा उपचुनाव के बहिष्कार की बात कह रहे है दूसरी तरफ कांग्रेस इस मुददे को लेकर भाजपा को घेरने की कोशिश कर रही है कांग्रेस आंदोलन की बात कह रही है तो ग्रामीण दोनो ही दलो पर उपेक्षा करने का आरोप लगा चेता रहे है कि अब राजनीतिक दलो को वह अपने तरीके से सबक सिखायेंगे ।
अटल ज्योति योजना मे इन गांवो को कागज पर तो विद्युत वितरण कंपनी ने अपने रिकॉर्ड में शामिल कर अपनी पीठ तो थपथपा ली मगर इस चक्कर में उन्हें केशरपुरा , बोरघाटा, ओर भेरुपाडा के ग्रामीणो को बिल देना पड रहा है आखिर ऐसा उन्होने क्यो किया यह बताने पर कैमरे पर कोई अफसर तैयार नही है विद्युत वितरण कंपनी जवाब देने से भाग रही है ओर सरकार आत्ममुग्ध है कि उसने यहां के बाशिंदो कोई बिजली दे दी है मगर इन ग्रामीणो ने भी बिजली नही तो वोट नही का एलान कर सबको सिखाने की ठान ली है ।