यह है ” शिवराज” के लगातार दोरो की मजबूरी

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झाबुआ live ” political” डेस्क ।

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खबर शुरु होते ही आपको कुछ तारीखें हम गिना रहे है 23 अगस्त ( आजादनगर ) 2 अगस्त को झाबुआ  , 13 अगस्त ” सोडंवा” 27 अगस्त को थादंला , फाटा , ओर थादंला ओर 28 अगस्त को पेटलावद । इसके अलावा रतलाम जिले की 5 अलग अलग रैलीया जिनकी तारीख हमे पता नही है ओर अब सुन रहे है कि राणापुर , मेघनगर, भगोर ओर पारा के साथ एक बार फिर 10 अगस्त को झाबुआ मे भी एक बडा काय॔क्रम हो सकता है । जी हां हम बात कर रहे है मध्यप्रदेश के उस मुख्यमंत्री की जो विगत एक माह मे झाबुआ/ अलीराजपुर/ रतलाम के अंत्योदय मेलो के बहाने अंचल की खुब चुनावी रैलीया कर रहा है ओर घोषणाओ का तो क्या कहने 1300 करोड से अधिक की घोषणाऐ शिवराज अभी तक दोनो आदिवासी जिले के लिऐ कर चुके है । उपचुनाव के पहले सत्तारुण मुख्यमंत्री अमूमन आश्वस्त देखे जाते है ओर अभी तो केंद्र ओर राज्य में भी भाजपा सरकार है उसके बावजूद भी मुख्यमंत्री थोडे घबराये ओर बदहवास से लगते है उनके चेहरे पर असुरक्षा का बोध भाव देखा ओर पढा जा सकता है अब सवाल उठता है आखिर शिवराज को कैसी असुरक्षा ? हम आपको बताते है कि क्यो शिवराज आशंकित है । इसे जरा इन बिंदुओ से समझिऐ-

1)- व्यापमं मे भले ही सीबीआई जांच शुरू हो गयी है मगर इस उपचुनाव मे अगर भाजपा हार गयी तो शिवराज का इस्तीफा 1000% तय है ओर जीत गये तो कांग्रेस कमजोर होगी ओर शिवराज नेशनल मीडिया के टारगेट बनने से बचेंगे ।

2)- शिवराज की दिक्कत यह भी है कि कांतिलाल भूरिया के कद काठी उनके पास कोई नेता हाल फिलहाल नही है । 

3)- निर्मला भूरिया के भाई  कुछ माह पहले ही जिला पंचायत चुनाव हारे है ओर झाबुआ विधायक शांतिलाल तो अपनी पार्टी को अपने गांव की सरपंची तक नही जितवा सके है ।

4)- मनरेगा की विफलता ओर मजदूरो को भुगतान ना मिलने से ग्रामीण मतदाता भाजपा से नाराज है ।

5)- भाजपा की हालत ठीक नही है पार्टी कुछ धडो मे बंटी है मोर्चा संगठन अलग थलग पड़े है खुद अरविंद मेनन पर गुटबाजी को बढावा देने के आरोप लगते रहे है 

यह सब ऐसे कारण है जिसको लेकर शिवराज ने खुद ही रतलाम लोकसभा उपचुनाव की कमान संभाल ली है उनके खास मंत्री जिले का लगातार दौरा कर रहे है ओर खुद शिवराज भी । अब देखना यह है कि शिवराज अपने विजन मेन कामयाब होते है या नही ।

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