सलमान शेख@ झाबुआ Live
कहा जाता है कि भारत की भूमि विद्वानो की भूमि है, जिसके पीछे भारत का गौरवशाली इतिहास गवाह रहा है। चिकित्सा से लेकर विज्ञान के क्षैत्र में आगे होने के बावजूद यह देश कई मायनो में बाकी देशो से हटकर है। जिसमें आस्था भी एक अहम भूमिका निभाती है, जो इस देश को इतनी विविधता होने के बावजूद एक धागे में बांधे रखता है। इस आस्था को बनाये रखने में यहां मौजूद मंदिरो की भूमिका को भी नकारा नही जा सकता, चलिए महाशिवरात्रि के मौके पर हम आपको ऐसे ही रहस्यमय मंदिरो की सैर पर ले चलते है जो लोगो की आस्था का केंद्र तो है ही, इसी के साथ-साथ भारत के गौरवशाली इतिहास को भी समेटे हुए है। देश में एक से बढक़र एक मंदिर है। कुछ ऐसे है जिनके बारे में जानकार वैज्ञानिक भी हैरान हो जाते है। वह लाख कोशिशो के बाद भी नही समझ पाते है कि इतने कुशल वैज्ञानिक आखिर उस समय कैसे होते थे।
*भूतेश्वर महादेव (फूटा) मंदिर:*
कहते है कि पूर्वजो के द्वारा दी हुई ऐतिहासिक प्राचीन धरोहर हमेशा हर व्यक्ति के लिए उसके जीवन का एक अहम हिस्सा होती है। पुरातात्विक धरोहरो को सहजने व पर्यटन स्थलों के विकास को लेकर पेटलावद क्षैत्र की हमेशा उपेक्षा हुई हैं। जबकि यहां पुरातात्विक धरोहरो को सहजकर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता हैं। झाबुआ जिले के पेटलावद शहर में पंपावती नदी के तट पर भूतेश्वर महादेव का स्थित है। यह मंदिर फूटा मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर ऐतिहासिक पाषाण पत्थरो से मना हुआ है। जिसका इतिहास सैडकों साल से भी अधिक पुराना हैं।
*न किसी महात्सा ने, न किसी व्यक्ति ने बनाया, मंदिर खुद उडक़र आया:*
फूटा मंदिर पूरी तरह बड़े पत्थरो से बना हुआ हैं। जिसमें भगवान भोलेनाथ की प्रतिमा हैं। यह मंदिर अतिप्राचीन होकर ऐतिहासिक मंदिर है। इस मंदिरपिछे मान्यता हैं कि इसे न तो किसी साधू महात्मा ने बनाया है और न ही किसी अन्य व्यक्ति ने इसका निर्माण किया है। पूर्वजो के अनुसार यह मंदिर खुद उडक़र यहां स्थापित हुआ है। यह मंदिर बड़े—बड़े चट्टानी पत्थरो से बना हुआ है। खास बात तो यह है कि यह चट्टानी पत्थर एक के ऊपर एक जमें हुए है।
दूसरी लिपी में कुछ लिखा हैं:
इस मंदिर में दूसरी लिपी में कुछ लिखा हुआ भी हैं जिसे आत तक पढ़ा भी नही जा सका हैं। यदि प्रशासन प्रयास कर किसी जानकार की मदद से इस पर खुदी लिपी को पढ़वाते तो हो सकता है इसके इतिहास से संबंधित कई जानकारियो से पर्दा हटा जाता। इस मंदिर के पीछे बुजुर्ग लोगो की कई कहानियां बता रखी हैं कोई कहता है इस मंदिर को एक साधु द्वारा एक स्थान पर बनाकर यहां लाया गया है कोई कहता है एक ही रात एक साधु द्वारा इसका निर्माण किया गया है। आखिर कोई भी बात हो पर यह ऐतिहासिक धरोहर सहजकर रखने लायक है प्रशासन की निष्क्रियता का लाभ कुछ लोगो ने उठाकर इस स्थान के आसपास की खाली पड़ी सरकारी भूमि पर कब्जा कर लिया।
*कई प्राचीन धरोहरे निकल सकती है यहां से:*
फूटा मंदिर के क्षैत्र में और भी प्राचीन धरोहरे निकल सकती है। इसी क्षैत्र में कुछ वर्षो पहले एक संगेमरमर की महावीर स्वामी की अतिप्राचीन साबूत मूर्ति निकल चुकी है, जो नगर के जैन मंदिर में स्थापित है। फूटा मंदिर भी स्थापत्य कला का एक नमूना है। विशाल पत्थरो से बने इस मंदिर में कहीं भी सीमेंट या चूना नही लगा हुआ है।
*यहां भगवान भोलेनाथ के मंदिर में बना हुआ है प्राकृतिक रूप से ऊँ..:*
पेटलावद के ही बेकल्दा गांव से 2 किमी दूर पहाडिय़ो के बीच चेनपुरी शिवकुण्ड एक ऐसी जगह है जहां पर पहाडिय़ो का आकार बिल्कुल ऊँ की तरह है। ये भी संयोग है कि इसी जगह पर भगवान भोलेनाथ का मंदिर है, जो ऊँ के आकार के बिंदु पर बना है। यह ऊं अक्ष्र यहां प्राकृतिक रूप से उभरा है। यहां साक्षात ऊं के दर्शन हो जाते है। यहां हर कदम बढ़ाने पर दिव्यता का एहसास होता है। ऐसा लगता है मानो, एक अलग ही दुनिया में आ गए हो। मंदिर के पुजारी मनोज दवे यहां पूजन-पाठ और भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करते है।
*24 घंटे होता है शिवजी का जलाभिषेक:*
ग्राम के जगदीश भटेवरा व वीरेंद्रसिंह पंवार बताते है कि उनके गांव में एक मंदिर है जो शिवकुण्ड के नाम से विराजमान है। यहां 12 ही महीने कुंड में पानी भरा होता है और मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि मंदिर में प्राकृतिक रूप से ऊँ का आकार पहाडिय़ो के बीचो-बीच बना हुआ है। यहां भगवान शिवजी का 24 ही घंटे प्राकृतिक रूप से जलाभिषेक होता है। इसी के चलते मंदिर में दूर-दराज से श्रद्धालु बड़ी संख्या में दर्शन करने के लिए यहां पहुंचते है।
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