दिलों में बसे कुविचारों को त्याग कर पवित्र भावनाओं को अंगीकार करे- सौभाग्यसिंह चैहान
सत्यसाईं समिति ने मनाया मकर संक्रांति पर्व
झाबुआ, ,हमारे प्रतिनिधिः मकर संक्रांति देवताओं का प्रभातकाल मानी जाती है, इस दिन प्रकृर्ति की सभी शक्तियां जागृत होती है । इस दिन भगवान भास्कर भी दक्षिणायन से उत्तरायण होते है । पितामह भीष्म ने इसी दिन सूर्य के उत्तरायण आने पर अपने प्राणों का त्याग किया था। इस तरह मकरसंक्रांति पर्व पावनता का प्रतिक माना जाता है।
श्री सत्यसाईं बाबा ने भी मकर संक्रांति को नववर्ष के आगमन का दिन बताते हुए कहा था कि अपने दिलों में बसे कुविचारों को त्याग कर पवित्र भावनाओं को अंगीकार करके आध्यात्म के साथ अपने जीवन में सत्य, धर्म,शांति, प्रेम एवं अहिंसा को लेकर मानव सेवा के इस संकल्प को पूरा करने में अपनी भूमिका का निर्वाह करने का संकल्प ले ।
उक्त उदगार सत्यसाईं सेवा समिति द्वारा मकर संक्राति के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में सौभाग्यसिंह चौहान ने व्यक्त किए। मकर संक्राति पर पर गुरूवार को सत्यधाम में नाम संकीर्तन का आयोजन किया गया। सत्यसाई बाबा की पंतग एवं पुष्पों से आकर्षक झांकी ओम प्रकाश नागर एवं हिमांशु पंवार द्वारा बनाई गई। सर्वधर्म नाम संकीर्तन का आयोजन किया इसके बाद मकर संक्राति पर्व पर चौहान ने कहा कि इस दिन उडाई जाने वाली पतंगें सूर्य के अभिनन्दन एवं मनुष्य की महत्वाकांक्षाओं का प्रतिक मानी जाती है । हमारा देष धर्म प्रधान देश है जहां हर पर्व का अपना धार्मिक महत्व है।
इस पर्व के माध्यम से नर सेवा नारायण सेवा के महामंत्र को साकार करने के लिये दान पूण्य किये जाते है । तिल गुड का सेवन भी वाणी मे मिठास का प्रतिक होता है ।उन्होने कहा कि मकर संक्राति पर्व संकल्प लेने का पवित्र दिन जहां से हम जीव सेवा- शिव सेवा के कार्य शुरू कर सकते है ।महामंगल आरती के बाद प्रसादी के वितरण के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ ।