राजनैतिक जानकार जता रहे उलटफेर की संभावना, मतदाताओ की खामोशी चर्चा में..

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 सलमान शेख, पेटलावद

 विधानसभा चुनाव के लिए हुए मतदान के बाद अब हर किसी को परिणाम जानने 11 दिसंबर का बेसब्री से इंतजार है। इवीएम मशीन खुलते ही जैसे ही रिजल्ट आना शुरू होंगे, सभी कयासों को विराम लगना भी शुरू हो जाएगा। मतगणना से पहले मतदाता के चालाक हो जाने या फिर सत्ता वापसी की चर्चा जोर पकड़े हुए है।

मतदाता चालाक के क्या है मायने…?
विधानसभा चुनाव के दौरान इस बार मतदाता बहुत खामोश रहा। उसकी खामीशी ने राजनीतिक दलो और उम्मीदवारो को भी चिंता में डाल रखा है। ऐसी खामोशी चुनाव में पहले कभी नही देखी गई। मतदान से पहले और मतदान के बाद भी मतदाता मौन धारण किए हुए है। कहा जा रहा है कि मतदाता चालाक हो गया है। वह मौन धारण कर सीधे ईवीएम की बटन दबाकर घर आ गया। मतदाताओ ने किस राजनैतिक दल को पसंद किया है यह तो रिजल्ट आने पर ही पता चलेगा।

इतनी खामोशी ने उठाए सवालः
मतदाताओ की खामोशी ने कई सवाल खड़े किए है। इस बात की चर्चा राजनीतिक गलियारे में हो रही है कि मतदाता किसी से बैर नही लेना चाहता। पहले मतदाता खुलकर सरकार की गलत नीतियों का चुनाव से पहले विरोध करता था। इस बार ऐसा कुछ दिखाई नहीं दिया। चर्चा है कि खामोश मतदाता ने अपने गुस्से का इजहार कर दिया है।
नही तो फिर सत्ता की वापसीः
राजनैतिक गलियारों में चल रही चर्चाओ की मानें तो मतदाता की चालाकी देखने नही मिलेगी, तो फिर से सत्ता की वापसी हो सकती है। कुछ लोग ऐसी भी संभावना जता रहे है कि मतदाता न सरकार के पक्ष और विपक्ष में कुछ बोलना चाहता है। उसके मन में जो भी है वह सीधे ईवीएम की बटन दबाकर इजहार कर देता है।

उलटफेर की संभावना अधिकः
नई सरकार के गठन से पहले वर्तमान सरकार की विदाई की चर्चा भी खूब हो रही है। रिजल्ट आने से पहले कयासो का दौर अभी आगे भी जारी रहेगा। इस बार मतदान का परिणाम सामने आने के बाद कई राजनतिक समीकरण बनते और बिगड़ते नजर आएंगे।

खूब हो रहे तर्क-वितर्कः
कांग्रेस-भाजपा के चुनावी कार्यालयों में मतदान के बाद सन्नाटा पसरा हुआ है और उम्मीदवारो के घरो में खास समर्थको का डेरा अभी भी जमा हुआ है। पोलिंग प्रतिशत के चार्ट को लेकर उम्मीदवार व उनके समर्थक जोड़ घटाने में व्यस्त हो गए थे। इस जोड़ घटाने को लेकर कई मर्तबा तर्क-वितर्क भी हुए और कयास लगाए गए। वर्ष 2013 में 72.14 फीसदी तो इस बार 79.80 फीसदी मतदान हुआ है। इस तरह से लगभग 8 फीसदी मतदान अधिक होने को लेकर कांग्रेसी उत्साहित नजर आ रहे है।
उनका मानना है कि यह 8 फीसदी वोट सत्ता के खिलाफ निकला है तो वहीं भाजपा का दावा है कि प्रदेश सरकार द्वारा आम जनता की भलाई के लिए कई तरह की योजनाएं संचालित की गई है और इसका फायदा सभी वर्ग के लोगो को मिला है। जनता सरकार के कामकाज से खुश है और मतदाताओं ने घरो से निकलकर एक बार फिर सरकार के पक्ष में मतदान किया है।
विधानसभा चुनाव में कोई ब्राह्मण मतदाताओ पर, कोई सिर्वी व पाटीदार मतदाताओ पर और कोई मुस्लिम मतदाताओ पर अपना एक तरफा कब्जा मान रहा है। ग्रामीण क्षैत्रों में भी यही हाल है, जबकि राजनैतिक पंडित कांग्रेस और भाजपा दोनो में बराबरी की टक्कर का अंदाजा लगा रहे है।
बरहाल किसके दवो कितने सच है, यह तो 11 दिसंबर को मतगणना के बाद ही पता चल सकेगा, लेकिन निष्पक्ष रूप से मतदान के बाद जो लोग आंकलन और राजनैतिक गुणाभाग कर रहे है, उनका मानना है कि इस बार यहां कांग्रेस अपनी उपस्थिति सम्मानजनक तरीके से दर्ज कराने जा रही है। यह बात भी जरूर है कि इसको लेकर कोई भी पुख्ता दावा करता नजर नहीं आ रहा हैै। इसका हिसाब अभी कोई भी राजनैतिक पण्डित सही तरीके से नहीं लगा पा रहे है, लेकिन सभी अपनी-अपनी जीत के प्रति आशान्वित होकर विजयी जुलूस निकालने की तैयारी में जुट गए है।

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