भागवत कथा के समापन के बाद निकाली भागवत कथाजी पौथी की शोभायात्रा

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भूपेंद्रसिंह नायक, पिटोल
विगत 7 दिनों तक स्थानीय राधा कृष्ण मंदिर पर भागवत कथा के वाचन के बाद कल शाम 6 बजे समापन हुआ। भागवत आरती के बाद सभी भागवत सुन रहे श्रद्धालुओं ने भागवतजी की पौथी का पूजन कर अपने सिर पर रखकर कर पूरे नगर में भ्रमण किया। इस अवसर पर भागवत कथाए आचार्य रघुवर दासजी महाराज को रथ पर बिठाकर इन महान संत ने पिटोल नगर के सभी वर्ग धर्म के लोगों को स्वागत किया। उनका आशीर्वाद लिया इससे पहले समापन दिवस पर के दिन भागवत कथा अचार्य रघुवर दासजी महाराज ने के श्रीमुख से भागवत कथा का सार है कि प्रेम ही भगवान की सबसे बड़ी पूजा है। हम मनुष्य पत्थर की मूर्ति के सामने जाकर प्रेम प्रदर्शित करते हैं और करना भी चाहिए कुछ गलत नहीं है परंतु मंदिर से बाहर निकलते ही हमारे मन का प्रेम राग द्वेष में बदल जाता है कितने आश्चर्य की बात है कि इंसान के द्वारा बनाई गई मूर्ति से प्रेम करते हैं और भगवान ने जी मूर्तियों को बनाया है अर्थात मनुष्य से धृणा इस पूरे संसार में एक मात्र सनातन धर्म ही ऐसा है जो मनुष्य को सहनशील बनाने की प्रेरणा देता है जब तक प्राणी मात्र में भगवान का दर्शन करते हुए व्यवहार नहीं करेंगे तब तक एक दूसरे के प्रति भेदभाव बना रहेगा। वास्तविकता में मनुष्य जब तक धर्म का आचरण करता है तब तक वह मनुष्य है। धर्म के बिना मनुष्य पशु के समान है इसलिए बढ़ता के साथ धर्म का आचरण करना चाहिए। भगवान की जो अवतार हुए हैं सब कोई मनुष्य के रूप में पशु पक्षी के रूप में कोई मछली के रूप में हुआ है इसका मुख्य कारण यही है कि धर्म सभी मनुष्य को पशु पक्षियों का अनुभव करते हुए सभी के प्रति आदर सम्मान करते हैं। याद रहे कि संत शिरोमणि आचार्य श्री रघुवर दास जी महाराज राजस्थान के तलवाड़ा में गौशाला का संचालन करते हैं एवं वे सच्चे भक्त हैं उनके श्रीमुख से कहीं-कहीं हर एक बात प्रभु की वाणी के समान है।

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