सहायक आयुक्त ” आदिवासी विकास” पद के लिए एक सप्ताह बाद भी गतिरोध कायम ; हो रही सिस्टम की किरकिरी

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@चंद्रभान सिंह भदोरिया @ चीफ एडिटर

सहायक आयुक्त आदिवासी विकास अलीराजपुर पद से हटायें गये सतीशसिंह ओर इस पद पर बैठाये गये नवीन श्रीवास्तव दोनों ने आदेश होने के एक सप्ताह बाद भी अपने अपने पदों पर ज्वाइन नहीं किया है अलीराजपुर विधायक नागरसिंह चोहान के सतीशसिंह को सहायक आयुक्त पद पर ना देखने के लिए अडने की चर्चा है वही जोबट विधायक माधोसिंह डावर इस बात पर अडे है कि नवीन श्रीवास्तव जिन्हे की सहायक आयुक्त आदिवासी विकास का प्रभार दिया गया है वह किसी भी हाल मे नही होना । ऐसे मे शिक्षा सत्र शुरु हो चुका है ओर असमंजस के हालातों से प्रशाशन की किरकिरी हो रही है आम जनता मे यह संदेश जा रहा है कि प्रशाशन राजनेताओं के आगे बेबस नजर आ रहा है अन्यथा यह पशोपेश की स्थति समाप्त की जा सकती थी बहरहाल खबर है कि प्रभारी मंत्री का दफ्तर एक नये फार्मूले पर काम कर रहा है जिसके अनुसार ना सतीशसिंह ओर ना नवीन श्रीवास्तव कोई अन्य अफसर को प्रभारी बना दिया जाये ताकी गतिरोध समाप्त हो । बताया जा रहा है कि अगले 72 घंटे के भीतर नये सहायक आयुक्त का आदेश जारी हो सकता है ।

आखिर क्यो है इस पद की मारा-मारी ?

प्रशाशन मे कई विभाग होते है लेकिन इस पद के लिए आखिर इतनी मारा-मारी क्यो है ? दरअसल इसकी वजह इस विभाग का भारी भरकम बजट होना ओर भारी भारी अमला होना है भारी भरकम बजट सप्लायरो को मजबूर करता है कि अपने राजनीतिक आकाओ की मदद से अपने पक्ष का अधिकारी बिठवाऐ ओर भारी भरकम अमला राजनीतिक उद्देश्यों मे मददगार होता है ओर दुर के अंचल मे कई शिक्षक या तो पहुंचते ही नहीं है या देरी से पहुंचकर समय से पहले लोट आते है ओर ऐसे शिक्षक शोकाज नोटिश मिलने पर निलंबन से बहाल होने के लिए मोटी रकम तक एक चैन सिस्टम के जरिए खर्च करते है होस्टल & छात्रावास भी अफसरों को अपने कारणों से आकर्षित करते है यही कारण है कि इस पद के लिए मारा-मारी चरम पर है ।

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