गुरु ही मोक्ष के द्वार खोलते हैं गुरु के बिना ईश्वर की प्राप्ति संभव नहीं : ममताजी

0

राहुल पाटीदार, करवड़

श्रीमद्भागवत कथा महोत्सव सप्ताह के पांचवे दिन भी काफी भीड़ रही। कथा वाचक ममता  पाठक (दन्तोडिया वाले) ने श्रोताओं को कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि गुरु ही मोक्ष के द्वार खोलते हैं मोक्ष का द्वार खोलते हैं। गुरु के बिना ईश्वर की प्राप्ति संभव नहीं है। ममता जी ने उपस्थित श्रद्धलुओं को बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लेते ही कर्म का चयन किया। नन्हें कृष्ण द्वारा जन्म के छठे दिन ही शकटासुर का वध कर दिया, सातवें दिन पूतना को मौत की नींद सुला दिया। तीन महीने के थे तो कान्हा ने व्योमासुर को मार गिराया। प्रभु ने बाल्यकाल में ही कालिया वध किया और सात वर्ष की आयु में गोवर्धन पर्वत को उठा कर इंद्र के अभिमान को चूर-चूर किया। गोकुल में गोचरण किया तथा गीता का उपदेश देकर हमें कर्मयोग का ज्ञान सिखाया। प्रत्येक व्यक्ति को कर्म के माध्यम से जीवन में अग्रसर रहना चाहिए।
पांचवे दिन कथावाचक ममता जी ने श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं और कंस वध का भजनों सहित विस्तार से वर्णन किया.उन्होंने कहा कि मनुष्य जन्म लेकर भी जो व्यक्ति पाप के अधीन होकर इस भागवत रुपी पुण्यदायिनी कथा को श्रवण नहीं करते तो उनका जीवन ही बेकार है और जिन लोगों ने इस कथा को सुनकर अपने जीवन में इसकी शिक्षाएं आत्मसात कर ली हैं तो मानों उन्होंने अपने पिता, माता और पत्नी तीनों के ही कुल का उद्धार कर लिया है. उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण ने गौवर्धन की पूजा करके इद्र का मान मर्दन किया. भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने का साधन गौ सेवा है. श्रीकृष्ण ने गो को अपना अराध्य मानते हुए पूजा एवं सेवा की. याद रखो, गो सेवक कभी निर्धन नहीं होता.

श्रीमद्भागवत कथा साक्षात भगवान श्रीकृष्ण का दर्शन है। यह कथा बड़े भाग्य से सुनने को मिलती है। इसलिए जब भी समय मिले कथा में सुनाए गए प्रसंगों को सुनकर अपने जीवन में आत्मसात करें, इससे मन को शांति भी मिलेगी और कल्याण होगा। कलयुग में केवल कृष्ण का नाम ही आधार है जो भवसागर से पार लगाते हैं। परमात्मा को केवल भक्ति और श्रद्धा से पाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि परिवर्तन इस संसार का नियम है यह संसार परिवर्तनशील है, जिस प्रकार एक वृक्ष से पुराने पत्ते गिरने पर नए पत्तों का जन्म होता है, इसी प्रकार मनुष्य अपना पुराना शरीर त्यागकर नया शरीर धारण करता है।
ममता जी ने श्रद्धालुओं को बताया कि बाल गोपाल ने अपनी अठखेलियों से अपने बाल स्वभाव के तहत मंद-मंद मुस्कान व तुतलाती भाषा से सबका मन मोह रखा था. उन्होंने अपने सखाओं संग मटकी फोड कर चोरी छुपे माखन खात हुए यशोदा मैया एवं गोपियों को अपनी शरारतों से प्रेम व वात्सल्य से बांधे रखा. कृष्ण ने अपनी अन्य लीलाओं से पूतना, बकासुर, कालिया नाग, कंस जैसे राक्षसों का वध करते हुए अवतरण को सार्थक किया तथा त्रेतायुग में धर्म का प्रकाश फैलाया. साथ ही गोवर्धन महाराज की पूजा हेतु उससे संबंधित पूरे वृतान्त को सुनाया। भागवत कथा में ममता जी ने लोगों को उपदेश देते हुए कहा मानव के कष्ट हरण करने के लिए भगवान ने अनेक लीलाएं कीं, काम, क्रोध, लोभ, मोह व अहंकार ही शरीर के शत्रु हैं. भक्ति की शक्ति अथवा सत्संग के प्रभाव से इन पर काबू पाया जा सकता है. सत्संग रूपी कथा अमृत जीवन से परिवर्तन आता है. भागवत कथा जीने की कला सिखाता है. धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की कला सत्संग के प्रभाव से मिलते हैं. यदि व्यक्ति धर्म का आचरण करता है, तो धर्म द्वारा अर्जित अर्थ से धन से अपनी कामनाओं की पूर्ति करता है, तो उसकी सहज मुक्ति होती है, लेकिन अधर्म से कमाए धन से जीव तामसिक वृद्धि होती है. काम, क्रोध, लोभ, मोह व अहंकार ये तीनों नरक गामी बनाता है. लोगों ने संगीतमयी कथा पर जमकर नाचे एवं ममता जी ने लोगों से अनुरोध किया ज्ञान यज्ञ के कुछ दिन ही शेष हैं इस लिये ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोग पधार कर ज्ञानयज्ञ का लाभ लें और जीवन को सफल बनाए.

Leave A Reply

Your email address will not be published.