श्रीरामकथा में भक्तों को संबोधित करते हुए ज्ञानी महाराज ने दी जीवन की सीख- मरने से पहले सब बांट देना ही मुक्ति है

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मंयक गोयल, राणापुर
मरने से पहले सब बांट देना ही मुक्ति है एवं कुछ भी बचाना ही अधोगति हैं। उक्त प्रवचन राणापुर में आयोजित श्री रामकथा के छठवे दिवस संत ज्ञानी महाराज द्वारा चित्रकुट धाम में आयोजित रामकथा मानस सुंदरकांड में उपस्थित भक्तों को कही। संत श्रेष्ठ द्वारा कहा गया कि मनुष्य अंधकुप रूपी संसार में पड़ा है और उसे केवल ऊपर वाला ही कृपा करके बाहर निकाल सकता है, क्योंकि जिस प्रकार लकड़ी में आग होती है लेकिन दिखती नहीं है घिसने पर ही निकलती है। उसी प्रकार से परमेश्वर दिखता नही है केवल प्रार्थना से प्रकट होता है जिस प्रकार से धरती में सर्वत्र पानी है लेकिन जैसी ही मिट्टी एवं बीच का मलबा निकलते है पानी दिखाई देने लगता है उसी परक से हमारे हृदय में परमेश्वर सदैव रहता बस हमे काम क्रोध लोभ मोह का कचरा बीच से हटाना है। श्रधेय गुरुजी ने भगवान के 24 अवतार के बारे में भी प्रकश डाला। आज की कथा में पिपलुखुटा हनुमान आश्रम के महंत दयाराम दास महाराज भी उपस्थित हुए उन्होंने भी भक्तो को उद्बोधित करते हुए रामचरितमानस को जीवन मे उतारने हेतु संदेश दिया। इस दौरान सांसद कांतिलाल भूरिया भी उपस्थित हुए उन्होंने भी दिन दुखियों के सेवा तथा प्रेम एवं भाईचारे के बारे में सभी को संबोधित किया एवं दोनों अतिथियो ने रामायणजी की आरती का भी लाभ लिया। आज के मुख्य यजमान बाबूलाल लच्छीराम, सहायक यजमान मांगीलाल चुन्नीलाल, भोजन प्रसादी चम्पाबाई चम्पालाल की ओर से स्वल्पाहार कैलाश डामोर प्रसादी वितरण दीपचंद एवं मोहन भाई कहर एवं ललित बंधवार की ओर से वितरित की गई।