आंदोलन से घबराई सरकार ; अब प्रशाशन के जरिए सख्ती से निपटने पर काम शुरु ; खुफिया तंत्र सक्रिय

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झाबुआ-अलीराजपुर Live

भारत बंद के दोरान हुई हिंसा के बाद सरकार के पास खुफिया रिपोर्ट ने शिवराज सरकार की नींद उडा दी है सरकार अब डेमेज कंट्रोल कर रही है ओर सरकार – बीजेपी – आरएसएस के खिलाफ आंदोलन करने वालों से सख्ती से निपटने के मूड मे है । 

चंद्रभान सिंह भदोरिया @ चीफ एडिटर 

विगत 2 अप्रैल को एसटी – एससी एक्ट पर सुप्रीम कोट॔ के फैसले के खिलाफ कथित भारत बंद के दोरान हिंसा में 8 लोगों की मोत से घबराई मध्यप्रदेश सरकार अब डेमेज कंट्रोल मे जुटी है 2 अप्रैल को फेल हुए प्रदेश के खुफिया तंत्र को अब सक्रिय किया गया है अब सरकार को लग रहा है कि चुनावी साल मे जयस ओर भीम सेना का आंदोलन उनकी लुटिया डुबो सकता है नतीजतन सरकार ने सख्ती शुरु की है जिस तरह से मध्यप्रदेश पुलिस की ओर से ओर जिले की पुलिस की ओर से संदेश जारी किये जा रहे है ओर कलेक्टरो की ओर से सोशल मीडिया पर धारा 144 लागू कर दी गयी है उससे साफ है कि सरकार अब दोबारा 2 अप्रैल जैसै हालात प्रदेश मे नहीं चाहती है खासकर आगामी 10 & 14 अप्रैल को लेकर सोशल मीडिया मे चली अफवाहों के बीच । यही कारण है कि पुलिस का खुफिया तंत्र ओर स्पेशल सायबर सेल सक्रिय है ।

खुफिया रिपोर्ट ने उडाई सरकार की नींद ; तैयार हो रहा है एक्शन प्लान
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सरकार की नींद उन खुफिया रिपोर्ट ने उडाकर रख दी है जिनमें कहा गया है कि जयस ओर दलित सेना जैसै संगठनों को सरकार के अधिकारी ओर कम॔चारी भी बडी संख्या मे वैचारिक ओर आर्थिक ताकत दे रहे है इतना ही नहीं कुछ तो खुलकर मैदान संभाल रहे है खुफिया एजेंसीयों ने सरकार को बता दिया है कि 2 अप्रैल को जो भी लोग सीएल लिये थे उन अधिकारियों ओर कम॔चारियों में से 80% भारत बंद के आंदोलन मे शामिल थे । अब सरकार ऐसे अधिकारियों ओर कम॔चारियों के लिए एक्शन प्लान तैयार कर रही है प्लान के तहत अधिकारियों को ऐसे इलाकों से हटाया जायेगा जहां उनका ज्यादा प्रभाव है ओर कम॔चारियों की सुची तैयार की जा रही है उन पर भी फैसला होगा । ग्वालियर चंबल संभाग मे तो बकायदा 4 अधिकारियों को भारत बंद के हिंसक जुलूस मे शामिल होने के लिए सरकार ने निलंबित कर दिया है ।

इसलिए चिंतित है सरकार
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दरअसल 2018 चुनावी साल है ओर इस चुनाव का परिणाम शिवराज की भावी राजनीति की दिशा ओर दशा तय करेगा । इसलिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के लिए यह चुनाव जीतना बेहद अहम् है ओर वे जानते है कि प्रदेश का हर 5 वा शख्स आदिवासी है ओर हर 11 वा शख्स दलित है मध्यप्रदेश की आबादी मे 21 % आदिवासी आबादी है जाहिर सी बात है इतनी बडी आबादी को जयस जैसै संगठनों की गिरफ्त मे जाने देने का मतलब बीजेपी का 50-60 सीटों पर सिमटना होगा । एमपी की सरकार बनाने मे 230 विधानसभा सीटों मे से 47 सीटें आदिवासीयों के लिए आरक्षित है इसलिए शिवराज डेमेज कंट्रोल मे लगे है ।

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