मजदूरी छोड़ पानी की तलाश में जुटे एक दर्जन गांवों के ग्रामीण, शासन की पेयजल योजना कागजों पर हिट, अंचल में फ्लॉप

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झाबुआ लाइव के लिए झकनावदा से जितेंद्र राठौड की एक्सक्लूसिव कवर स्टोरी-
गर्मी ने सितम ढहाना शुरू कर दिया है इसी के साथ ही क्षेत्र में जलस्त्रोतों ने भी साथ छोड दिया है। इसका सीधा असर झकनावदा क्षेत्र के करीब दो दर्जन गांवों में की भीषण किल्लत उभरकर सामने आ गई है।
दर्जनों गांवों के लोग जूझ रहे पेयजल संकट से-
शासन व प्रशासन के नुमाईदे एंव सरकार के मंत्री हर गांव में ट्यूबवेल खनन से लेकर नल-जल योजना सहित अन्य संसाधनों से दुुरुस्त आदिवासी अंचल में पानी पहुचाने के तमाम दावे सरकारी कार्यालयों में बैठकर या सरकार द्वारा बड़ा बजट पानी पर खर्च करने का दावा करती है, पंरतु इन सरकारी बजट और अधिकारियों के दांवों में बड़ा अंतर जमीन पर दिखाई दे रहा है। सरकारी दावों की पोल झकनावदा क्षेत्र के करीब एक दर्जन गांवों में पानी की भीषण किल्लत के बार साफ नजर आ रही है।
एक दर्जन गांवो में नहीं है पीने के पानी के इंतजाम-
झकनावदा सहित आसपास के सेमलिया, नाडातोड, टोडी, रूपाखेडा, बखतपुरा, बोरिया खिन्दाओ, झोसरपाडा, नवीन केसरपुरा, भेरूपाडा सहित सभी ग्रामों की स्थिति देखी जिससे शासन प्रशासन के दावों की पोल खुलती नजर आ रही है। हर गांव मे जलसंकट से बंशिदे परेशान है झाबुआ लाईव की पडताल
झकनावदा- क्षेत्र की सबसे बडी पंचायत झकनावदा में जलसंकट की स्थिति काफी विकराल बनी हुई है, यहां जल सप्लाय नल जल योजना से होता है और यहां की कुल आबादी 4500 के लगभग है। दो बोरिग जिनसे नगर को पानी मिलता है दोनो करीब एक माह पहले ही सूख चुके हं. नगर मे कुल 21 वार्ड है। वर्तमान में माही से जलसप्लाई किया जा रहा है, जो कुछ घंटे ही मिलता है जिससे एक सप्ताह में एक बार ग्रामीणो को पानी मिल पा रहा है। नगर के बाशिदे निजी नलकुपो या टैंकर से खरीद कर पानी की वयवस्था कर रही है !
ग्राम पंचायत सेमलिया- अभी वर्तमान मेे सबसे ज्यादा चर्चा मे रही ग्राम पंचायत सेमलिया में तीन गांव आते है। सेमलिया पंचायत की कुल आबादी 2800 के करीब है। ग्रामीण पंचायत के ही ट्यूबवेल ल से पानी भरते है पंरतु विगत दो माह जल जाने के कारण से जो एक मात्र बोरिग था। वह भी मोटर खराब होने के कारण बंद पड़ी है ग्रामीणजन एक किलोमीटर से अधिक दूर से निजी बोरिंग से पानी भरकर लाते हैं ग्राम उप सरपंच गोमा बर्फा का कहना है कि ग्राम पंचायत के सचिव को दो माह से मोटर रिपेयरिंग करवाने के लिए दो माह से कह रहे पंरतु सुनने को तैयार नही है बजट नही होने का हवाला दे देते है जबकि ग्रामीणजन हमें रोजाना खरी खोटी सुनाते हैं। पंचायत की उदासीन कार्यप्रणाली से ग्रामीण जन जल संकट भुगत रहे हैं। पंचायत के नाड़ा तोड़ गांव में लगभग सभी हैंडपंप बंद पड़े हैं ग्रामीणजन 3 किलोमीटर की दूरी से निजी ट्यूबवेल से पानी भरकर ला रहे हैं। ग्रामीणों के सामने जलसंकट के कारण रोजगार का संकट खडा होने लगा है।
बखतपुरा पंचायत- सबसे बड़ा संकट बखतपुरा पंचायत के बखतपुरा और खिन्दाखो सहित रूपाखेडा गांव में जलसंकट की स्थिति काफी विकराल रूप ले रही है। खिन्दाखो गांव में फाफी विकराल स्थिति, यहां करीब दस फलिये है, और दस फलिये पांच किमी में फैले हुए। दस हैडपंप गांव में लगे हुए है और सभी हैडपंप बंद पडे है ग्राम के बंशिदे गांव के काफी दूर तालाब से पानी पीने को मजबूर है। यही स्थिति रूपाखेडा गांव की भी है यहां पर गांव से दो किमी दूर कुंए से पानी भरकर लाते है।
नवीन बस्ती केसरपुरा की स्थिति सबसे दयनीय है इस गांव के ग्रामीण निवासी भेरूपाडा पंचायत के है और डूब क्षेत्र में आने के कारण मकान धोलीखाली के केसरपुरा गांव मे बना लिये है पंरतु दुर्भाग्य इन बंशिदों का दो पंचायतो के चक्कर मे यह दो किमी दुर से माही नदी का पानी पीने को मजबूर है।
कुभाखेडी पंचायत- क्षेत्र की कुभाखेडी पंचायत के बिजोरी गांव के लोग भी शासन की ओर से कोई वयवस्था ग्रामीणो की ओर से नही की गई है !ग्रामीण निजी नलकूप या टैंकर से पानी भरकर लाने को मजबुर है।
भेरूपाडा पंचायत – यह पंचायत की सबसे बडी विडबना तो यह की यह क्षेत्रफल और जनसंख्या की दृष्टि से पूरी जनपद की सबसे बडी पंचायत है और पंचायत मे करीब पांच गांवो मे पन्द्रह से अधिक बडे फलिये लगते है पंरतु दुर्भाग्य है की इस पंचायत मे नल योजना हो या शासन के नुमाइदे केवल कागजो पर ही पंचायतो मे पानी की वयवस्था कर रहै है जबकी ग्रामीणजन नदियों में गड्ढे खोदकर पानी पीने को मजबूर है।
माही का पानी दो जिलों की बुझा रहा प्यास पर खुद प्यास-
माही नदी से फिल्टर प्लांट से झाबुआ-धार जिलों में गांवों की प्यास माही परियोजन की योजना से बुझ रही है। केवल झकनावदा को छोड दे, तो अन्य किसी पंचायत मे नल योजना का पानी नही पहुचा पाया है और दोनों जिलों में पानी पहुंच रहा है।
जिला कलेक्टर के दावो की खुली पोल-
जिले कलेक्टर ने ग्रमी के पूर्व जिला कलेक्टर कार्यलय में बैठक आयोजित कर पूरे जिले की समस्त पंचायतों मे जलसंकट को लेकर इंतजाम करने के दावे किए थे पंरतु फिर भी पंचायते जलसंकट से जूझ रही है और शासन प्रशासन के नुमाइंदे केवल एसी में बैठकर जलसंकट हल करने के दावे कर रहे है जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही है।
पानी की किल्लत मजदूरी करने मे आती है परेशानी-
क्षेत्र की अधिकत्तर लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करते है पंरतु दुर्भाग्य की दौ वक्त की तिहाडी कर दो वक्त की रोटी का इंतजाम करने वाले मजदूर सबसे पहले सुबह उठकर पीने के लिए पानी की व्यवस्था करते है। उसके बाद मजदूरी पर जाते है !
एक वर्ष मे मात्र पांच बोरिग हुए-
पीएचई मंत्री और सरकार अपने बजट का एक बडा हिस्सा जलसंकट पर अपने बजट का एक बडा हिस्सा खर्च करने का दावा करते है जबकी सरकारी दावो और जमीनी हकीकत मे बडा अंतराल देखने को मिला। सबसे विडंबना यह की पूरे क्षेत्र की पंचायतो में एक वर्ष में 15 गांवों मे मात्र पांच बोरिंग ही हुए!
क्या कहते है जिम्मेदार
हैडपंप खराब है तो मे अभी दिखवाता हूं, जहां भी जलसंकट है उसे दूर करेंगे।
– बामनिया इंजीनियर
कई बार सचिव को अवगत कराया ध्यान नही देते है। ग्रामवासी हम जनप्रतिनिधियो को खरीखोटी सुनाते है। दूरर-दूर से पानी लाकर पीने को मजबूर है अगर एक सप्ताह मे समस्या का समाधान नही हुआ तो पंचो के साथ इस्तिफा देकर धरने पर बैठेंगे। -गोमा बर्फा, उपसंरपच ग्राम पंचायत सेमलिया

हम मजदूरी कर जीवन यापन करते है। पूरे गांव मे गंभीर समस्या है। सचिव ध्यान नही दे रहै है । ग्रामीण तालाब का गंदा पानी पीने को मजबुर है पर सचिव संरपच को ग्रामीणो की कोई चिन्ता नहीं है। – बाबु कटारा, पुर्व संरपच बखतपुरा खिन्दाखो

पूरे अंचल मे गंभीर जलसंकट है समस्या धीरे धीरे काफी विकराल रूप ले रही है ग्रामीण तालाबो और नदियो का पानी पी रहै। बीमारियो का खतरा बढ़ेगा। – शांतिलाल कांसवा समाजसेवी

जलस्तर ही नही होने के कारण हैडपंप बंद हो चुके है, निजी नलकूप पर सिन्टैक्स रख रहे हैं। – देवीसिह भाबर सचिव बखतपुरा

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