दौ दिन हास्पिटल मे रहने के बाद पंहुच आस्था के केन्द पर. .______________________ .झाबुआ लाईव के लिए जितेन्द राठौर कि रिपोर्ट. .____________&_________.देखीए आज भी भगवान के प्रति आदिवासी समाज मे कितना अटूट विश्वास है कि सर्प काटने पर दौ दिन सिविल हास्पिटल मे रखने के बाद तेजाजी महाराज के मंदिर लाये . .ताजा मामला रामा जनपद के उमरकोट पंचायत के जंगल मे बसे ग्वाण गांव का है जहां के अधिकत्तर लोग अपना जीवन यापन आज भी मजदुरी से ही करते है . . .उसी पेट के लिए दौ वक्त कि रोटी के इंतजाम मे पेट के लिए आदिवासी गुजरात कि ओर मुह करते है उसी तरह ग्वाण का डामोर परिवार भी दौ उक्त कि रोटी कि तलाश मे गुजरात के राजकोट गये थे. और परिजनो के शांति डामोर डामोर और उसके पति एक बिल्डिग मे काम कर रहै थे. अचानक सर्प ने आकर शांति बाई को डंस लिया. और घबराए परिजन ठेकेदार कि मदद से राजकोट के सिविल हास्पिटल पहुचे.जहां दौ दिन इलाज करने के बाद भी शांति बाई कि तबियत मे कोई सुधार नही हुआ तो परिजनो ने शांति बाई को डांक्टर गांव ले जाने कि इच्छा जताई पर हालत गंभीर होने के कारण डांक्टर ने मना कर दिया. पंरतु फिर भी परिजन नही माने और एब्बुलेस से उमरकोट लेकर आये. .
देखीए आदिवासी समाज मे तेजा महाराज के ऊपर अटूट आस्था .
.उमरकोट मे जैसे ही एब्बुलेस रात को पहुची गार्मीण तेजाजी के मंदिर पर एकत्रीत होने लगे. और गामी्णो को पुरी जानकारी लगी तो वहां जनसैलाब उमड गया.।फिर देखीए भगवान के प्रति आस्था और दौ दिन से बैहोश महिला बोलने लगी ।जैसे ही शांतिबाई को वीर तेजाजी के मंदिर पर लाया गया और तेजाजी के अंश आने के बाद महिला एक घंटे के अंदर बिलकुल सही गई और बातचित करने लगी और महिला को ताती बांधी गई.अब इसे क्या माने भगवान के प्रति आस्था या डांक्टर के इलाज का असर