कैशलेस के फेर में पंच परमेश्वर-मनरेगा के बुरे हाल, पंचायतों में ई-भुगतान से मुसीबत बढ़ी, सप्लायर्स हो रहे परेशान

0

झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
पंचायतों को पेपरलेस और कैशलेस कर ई-सेवाएं देने के पीछे शासन की मंशा थी कि पंचायतों की भुगतान प्रक्रिया आसान हो जाएगी और वेंडर के रूप में जुड़े निर्माण सामग्री सप्लाई करने वाले को उनका भुगतान जल्द मिल जाएगा, लेकिन इस व्यवस्था के होने के बाद परेशानी और अधिक बढ़ गई है। पोर्टल पर बिल चढऩे के एक माह तक बाद भी राशि जमा नही हो रही है। इसके चलते करीब पेटलावद में ही करीब एक करोड़ से अधिक की राशि अटकी पड़ी है।
परेशानी खत्म करने के लिये शुरू किया गया था ईपीओ
शासन की मंशा थी कि चेक और कागजी कार्रवाई के साथ अनावश्यक रूप से बैंक की भाग दौड़ खत्म की जाए। इसके लिए इलेक्ट्रानिक पैमेंट ऑर्डर व्यवस्था वर्ष 2016 शुरू की थी। पहले तो यह व्यवस्था सचिव के जिम्मे थी जिसमें वह पैमेंट का प्रिंट निकाल कर बैंक में दे आता था जिससे बैंक से आसानी से पैमेंट हो जाता था।कुछ आपत्ति बाद बदली व्यवस्था तो परेशानी बढ़ी जब कुछ जनप्रतिनिधियों ने शिकायत की कुछ ईपीओ बिना उनकी जानकारी के हो जाते हैं, जिससे पंचायतों में विवाद जैसी स्थति निर्मित हो जाती थी। बाद में इसमे सुधार करते हुए सीधे बैंक खाता में राशि ट्रांसफर की व्यवस्था की गई। इसके तहत पोर्टल पर बिल अपलोड होने के बाद सरपंच और सचिव के पंजीकृत मोबाइल नम्बर पर (वन टाइम पासवर्ड) आता है, जिसे पोर्टल पर डालते ही राशि सीधे खाते में जमा हो जाती थी। अब आलम यह है कि यह भुगतान बैंक को भेजने करने के बाद भी 15-20 दिन और कभी कभार एक माह तक भुगतान सामग्री सप्लायर्स को नही मिल रहा है जिससे परेशानी अधिक बढ़ गई है।
नये नियम बने परेशानी का कारण
मनरेगा में किये गये कार्य का भुगतान लेने में अब जुड़े हुए वेंडर को पसीने छूट रहे है. पहले तो महीनों तक राशि नही होने तथा पोर्टल नही चलने के कारण विभिन्न निर्माण कार्यो का भुगतान महीनों तक लंबित रहा। अब जहां भुगतान करने के लिये साइट खुली है तो एक नया नियम की परिवहन करने वाला वाहन आरटीओ में कर्मशियल के रूप में पंजीकृत होना चाहिए। इसके चलते पूरे अंचल में कार्य ठप पड़े है और वेंडरो को पुराना पेमेंट लेने में पसीने छूट रहे है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.