मोदी सरकार का बजट किसान विरोधी, युवाओं को बेरोजगारी की ओर धकेलने वाला, अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति विरोधी, शिक्षा-स्वास्थ्य के क्षेत्र में लोगों की आशाओं को तोडऩे वाला होगा साबित : सांसद भूरिया

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झाबुआ लाइव डेस्क-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र में लगभग 4 वर्ष रहकर समय बर्बाद किया है। न्यूनतम समर्थन मूल्य के उनके वादे खोखले साबित हुए हैं। व्यापार के घटते हुए अवसर, रोजगार के अवसर बढ़ाए जाने के अपने वादे को पूरा नहीं करना, जिसके परिणामस्वरूप देश में बेरोजगारी चरम पर है। गुरुवार को वित्त मंत्री अरूण जेटली के बजट पेश करने के बाद सांसद कांतिलाल भूरिया ने उक्त आरोप लगाए हैं। सांसद भूरिया ने कहा कि स्वास्थ्य बीमा योजना से गरीबों से ज्यादा बीमा कंपनियों को लाभ मिलेगा, राजकोषीय घाटा इतना अधिक बढ़ जाएगा कि वह सारे पुराने रिकॉर्ड अब ध्वस्त करेगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जितने भी वादे किए गए वह सभी टूटते जर आ रहे हैं। आम आदमी का भरोसा तोड़ा गया है यह सभी प्रमुख बिंदु मोदी सरकार की कथनी और करनी में अंतर बयां करते हैं। मोदी सरकार हर क्षेत्र में घाटे वाली सरकार साबित हुई है। यह सरकार सभी क्षेत्रों में आम जनता पर उपकर थोपने वाली सरकार साबित हुई है, नया सामाजिक कल्याण उपकर कस्टम ड्यूटी पर लगाया गया है। इसके साथ ही शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में उपकर लगाया गया है, इसके बाद मोदी सरकार को कर थोपने वाली सरकार के रूप में जाना-पहचाना जाएगा। सांसद भूरिया ने कहा कि शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रगति नहीं होने से सरकार उपकर लगाकर संसाधनों को बढ़ाने में लगी है जो उसके लिए घाटे का सौदा साबित होगा। भूरिया ने कहा कि एक बार फिर इस बजट में किसानों को फिर से मूर्ख बनाने का काम किया गया है। सिंचाई, बीमा, मिट्टी के लिए कार्ड बनाए जाना आदि कोई भी योजना पूर्ण नहीं की गई है। न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने में सरकार पीछे नहीं हट रही है। सांसद भूरिया ने कहा कि रोजगार उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिकता थी जिसे पीछे धकेल दिया गया है। वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा अपने बजट भाषण के 47वें मिनट में रोजगार पर बोलने से यह साबित होता है कि रोजगार उपलब्ध कराया जाना इस सरकार की प्राथमिकता से हट चुका है। सरकारी क्षेत्र ही नहीं निजी क्षेत्रों में भी रोजगार उपलब्ध करवाए जाने का केंद्र सरकार के पास कोई कार्ययोजना नहीं है। वहीं रेलवे सुरक्षा हेतु और अधिक संसाधन जुटाए जाने चाहिए थे जिससे की यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा सके, लेकिन सरकार का इरादा इसी बात से जाहिर होता है कि यूपीए सरकार के समय जो बजट आवंटन रेल सुरक्षा पर किया जाता था उसका आधा ही इस सरकार द्वारा बज आवंटन इस वर्ष के बजट में किया गया। भूरिया ने कहा कि मध्यम वर्ग हेतु कोई भी योजना नहीं बनाने से आयकर दाताओं को कोई भी लाभ प्राप्त नहीं हुआ इसके विपरीत टैक्स भरकर इस वर्ग की कमर टूट जाएगी। वहीं अनुसूचित जाति व जनजाति के कल्याण हेतु इस सरकार द्वारा आंकड़ों की बाजीगरी दिखाकर छलावा किया गया है जिससे की उनके कल्याण हेतु जो भी योजाएं चल रही है उससे उन्हें कोई विशेष लाभ नहीं मिलेगा। इसी के साथ भूरिया ने आगे कहा कि मोदी सरकार का यह बजट किसान विरोधी, आम जनता की कमर तोडऩे वाला देश के युवाओं को बेरोजगारी की ओर धकेलने वाला, अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति विरोधी, शिक्षा-स्वास्थ्य के क्षेत्र में लोगों की आशाओं को तोडऩे वाला साबित होगा।

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