आदिवासी चेतना यात्रा 19 से 30 जनवरी तक जिले के 300 गांवों का करेगी भ्रमण

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झाबुआ लाइव डेस्क। आदिवासी चेतना यात्रा आयोजन समिति झाबुआ द्वारा आदिवासी चेतना यात्रा का आयोजन 19 जनवरी से जिले के बामनिया स्थित प्रख्यात समाजसेवी मामा बालेष्वर दयाल की कर्मभूमि से किया जा रहा है, जो 30 जनवरी को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर चन्द्रशेखर आजाद नगर में अमर शहीद चन्द्रेशखर आजाद की जन्मस्थली पर पूर्ण होगी। यह यात्रा पूरी तरह से राजनीति से दूर होकर सामाजिक तरीके से निकाली जाएगी। यात्रा के प्रेरणा स्त्रोत जहां कांतिलाल भूरिया है। वही यात्रा संयोजक डॉ. विक्रांत भूरिया के नेतृत्व में यात्रा झाबुआ और अलीराजपुर जिले के करीब 300 गांवों का भ्रमण करेगी। यात्रा का उद्देश्य समाज को एकजुट कर मुख्यधारा से जोडऩा है। समाज को हर क्षेत्र में विकसित एवं समृद्धशाली बनाना है।
यात्रा के बारे में जानकारी देते हुए डॉ. विक्रांत भूरिया ने बताया कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधीजी और आचार्य विनोबा भावे ने भी पद यात्रा के माध्यम से देशवासियों में राष्ट्रीय एकता की भावना संचारित करने का कार्य किया था। इसी को आदर्श मनाते हुए आदिवासी चेतना यात्रा आयोजित समिति भी आदिवासी समाज के विभिन्न मुद्दों वन अधिकार अधिनियम, वन समितियों के गठन की स्थित, आदिवासी छात्र-छात्राओं के लिए छात्रवृत्ति, उनके लिए छात्रावासों का उचित प्रबंध, शिक्षण एवं प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना, किसानों की दुर्दशा, कृषि, पशु-पालन एवं आजीविका के साधनों पर मंथन, नारी सुरक्षा एवं नारी सषक्तिकरण पर विचार-विमर्श, बेपटरी हो रहीं रोजगार गारंटी योजना, बीमार अस्पताल, षिक्षक विहीन स्कूल, पलायन पर चर्चा के साथ अनेक प्रकार की स्थानीय समस्याओं एवं सामाजिक समस्याओं पर विशिष्ट नागरिकों के विचारों, सुझावों और अनुभवों को हासिल करने को लेकर यह यात्रा संचालित होगी। इसके माध्यम से आदिवासी समाज को एकजुट कर मुख्य धारा में लाने का कार्य किया जाएगा।
प्रतिदिन चलेंगे 20 किमी
डॉ. विक्रांत भूरिया ने आगे बताया कि समाज उत्थान से देष उत्थान तक गांधीगिरी तरीके से निकाली जाने वाली यह यात्रा प्रतिदिन 20 किमी का सफर तय करेगी। इसमें जिले की सामाजिक एवं रचनात्मक संस्थाएं भी हिस्सा ले सकती है तथा हर एक नागरिक शामिल हो सकता है। इस दौरान डॉ. भूरिया ने आदिवासियों के लिए उपयोग किए जाने वनवासी शब्द की आलोचना करते हुए कहा कि इस जिले के आदिवासियों को वनवासी ना कहां जाए, अब पूर्व जैसी गांवों में जगंलों जैसी स्थिति नहीं रहीं है, जिससे उन्हें इस शब्द से पुकारा जाए। साथ ही उन्होंने इस दौरान मांग की कि देश में संविधान में वनवासी की जगह आदिवासी शब्द का इस्तेमाल किया जाए।
कब और कहां भ्रमण करेगी यात्रा
यात्रा की तिथि और रूट के बारे में जानकारी देते हुए प्रकाश रांका ने बताया कि 19 जनवरी को यात्रा शुरू होकर बामनिया मामा बालेश्वर दयालजी की कर्मभूमि से प्रारंभ होकर बामनिया से खवासा, सागवा, सागवा रात्रि विश्राम, 20 जनवरी को सागवा से कोटड़ा एवं थांदला, थांदला में रात्रि विश्राम, 21 जनवरी को थांदला से फुटतालाब एवं कल्लीपुरा, कल्लीपुरा में रात्रि विश्राम, 22 जनवरी को कल्लीपुरा से संदला, बड़ी ढेबर, बड़ी ढेबर में रात्रि विश्राम, 23 जनवरी को बड़ी ढ़ेबर से झाबुआ बायपास एवं रामा, रामा में रात्रि विश्राम, 24 जनवरी को रामा, रोटला, रातीमाली, धांधलपुरा, धांधलपुरा में रात्रि विश्राम, 25 जनवरी को धांधलपुरा से दौलतपुरा, सेमलखेड़ी, बोरी, बोरी में रात्रि विश्राम, 26 जनवरी को बोरी, ग्यावनी, सागर, सियाली, बन, बन में रात्रि विश्राम, 27 जनवरी को बन, रानापुर, टिकड़ी, चारोलीपाड़ा, चोरालीपाड़ा में रात्रि विश्राम, 28 जनवरी को चारोलीपाड़ा, पलवन, पिटोल, कुंदनपुर, कुंदनपुर में रात्रि विश्राम, 29 जनवरी को कुंदनपुर, कंजावानी, देवली, देवली में रात्रि विश्राम तथा अंतिम दिन 30 जनवरी को देवली से चन्द्रशेखर आजाद नगर पहुंचकर यहां शहीद चन्द्रशेखर आजाद की जन्मभूमि पर यात्रा का समापन होगा।
सभी से सहयोग की अपील
यात्रा के संबंध में एक अपील पत्र भी जारी किया गया है, जो जिस मार्ग से होकर यात्रा निकलना है, वहां के रहवासियों को यात्रा से पूर्व अपील पत्र वितरित किए जाएंगे, ताकि वे यात्रा में बड़ी संख्या में सहभागिता कर सके। इस दौरान आदिवासी चेतना यात्रा को सफल बनाने की अपील जिला कांग्रेस प्रवक्ता हर्ष भट्ट एवं साबिर फिटवेल द्वारा सभीजनों से की गई एवं यात्रा में शामिल होने का भावभरा आमंत्रण एवं कवरेज हेतु भी आग्रह किया गया। अंत में आभार जिला कांग्रेस प्रवक्ता आचार्य नामदेव ने माना।

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