यात्रियों को “टायलेट” सुविधा ना देनी पडे इसलिए पटरी पर चलने वाली मेमू को कागज पर तीन ट्रेन होना बता दिया
झाबुआ Live के लिए ” लोकेंद्र चाणोदिया की EXCLUSIVE पड़ताल ।
भारतीय रेल्वे का आदश॔ वाक्य है ” Life Line of the nation ” यानी रेल्वे भारत की जीवन रेखा है .. लेकिन आज झाबुआ Live के बामनिया संवाददाता ” लोकेंद्र चाणोदिया ” सिलसिलेवार तरीके से रेल्वे को तथ्यों के साथ एक्सपोज कर रहे है पढिए इस खोजी खबर को कि कैसै दाहोद – उज्जैन – दाहोद मेमू लोकल ट्रेन मे अपने ही यात्रियों को तकनीकी खेल खेलकर रेल्वे मोत के मुंह मे ढकेल रहे है विगत 6 दिसम्बर को बामनिया रेलवे स्टेशन पर उज्जैन के एक यात्री की मेमू से कटकर जान गंवाने के बाद झाबुआ लाइव ने यह पड़ताल की है ।
यह है रेल्वे का तीन मेमू चलाने का खेल
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आम यात्रियों को लगता है कि वह जिस दाहोद – उज्जैन – दाहोद लोकल ट्रेन मे सफर करते है वह एक ही ट्रेन है लेकिन हम आज खुलासा कर रहे है कि यह एक ट्रेन पटरी पर तो है लेकिन रेल्वे रिकार्ड मे यह तीन ट्रेन है । रेल्वे रिकार्ड के अनुसार यह तीन ट्रेन इस प्रकार चलती है ।
ट्रेन न – 69181 – दाहोद से रतलाम ( 115 किमी )
ट्रेन नं – 69183 – रतलाम से नागदा ( 45 किमी )
ट्रेन नंबर – 69185 – नागदा से उज्जैन ( 55 किमी )
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कुल दूरी – 215 किमी / समय – 5 घंटे 20 मिनट
इसी तरह तीन ट्रेन उज्जैन से दाहोद के लिए कागज पर बताई जाती है । इससे रेल्वे उस नियम से बाहर हो जाता है जिसमें 150 या उससे अधिक की दूरी की यात्रा पर ट्रेन मे “टायलेट” सुविधा देना जरुरी हो जाता है । अब अगर आप रेल्वे से पूछते है कि आप मेमू मे टायलेट सुविधा क्यो नहीं देते तो उसके पास बचाव मे तक॔ है कि रतलाम रेल मंडल ही हमारी तीन मेमू है जो 115 किमी ; 45 किमी ओर 55 किमी की दूरी पर चलती है तो हम टायलेट क्यो दे !
जबकि यह है हकीकत ; रियेलिटी
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