भाजपा की नगर परिषद में कांग्रेसी-निर्दलीय को मिली जगह लेकिन भाजपाई को ही कर दिया बाहर

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झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
नगर परिषद उपाध्यक्ष चुनाव में जो बगावत हुई थी उसका असर सामने आने लगा है। परिषद में 6 समितीयों का गठन किया गया। जिसमें अध्यक्ष ओर सदस्य बनाए गए। इसमें खास बात यह है कि कांग्रेसी पार्षद और निर्दलीय भी इन समितियों में जगह मिल गई जबकि जो भाजपा के सिंबोल से चुनाव लडक़र जीते थे उन्हे ही जगह नही मिली। जैसा की उपाध्यक्ष चुनाव के वक्त बगावत सामने आई थी ओर उसके बाद जो निपटाने की चाल चली गई थी ओर उसमें सफल भी हुए थे। तभी से ये कहा जा रहा था कि पांच साल परिषद में अब सबकुछ ठीक चले ये संभव नही। इसका उदाहरण समिति गठन में दिख भी गया।
प्रकाश शंकर को किया बाहर-
6 समीतियों के गठन में वार्ड 2 के पार्षद और 6 की पार्षद मंगला शंकर राठौड़ को कही जगह नही दी गई। उपाध्यक्ष चुनाव में प्रकाश ने चुनाव लडा था तो मंगला राठौर समर्थक बनी थी। इसके बाद जो पार्षदो में आपसी फुट थी वह सबके सामने आई थी। तबसे ही इन दो पार्षदो को साथ भेदभाव होना तय माना जा रहा था। वेसा ही होने लगा है। जहां कांग्रेस के पार्षद को ले लिया गया तो निर्दलीय को भी जगह दी गई। ऐसा करने से संभवत: आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा को नुकसान हो सकता है। क्योंकि नगर से हर बार भाजपा को लीड मिलती आई है ओर ये दो पार्षद भी भाजपा के है। इनके पास भी जनाधार है। खेर यह तो आने वाला समय बाताएगा की क्या होगा। लेकिन यह तक है कि परिषद में सबकुछ ठीक नही होगा।
परिषद में चापलूसी हो रही हावी
नई परिषद के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि पूर्व परिषद में जो कारनामे होते थे वह अब बंद हो जाएंगे। मोटा भाई का जो नारा था सबका साथ सबका विकास वैसा ही काम अब होगा। पर अभी से यहां भेदभाव ओर चापलूसी हावी हो गई है। समीति गठन के बाद भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला। समीति गठन के पश्चात इसकी जानकारी केवल उन पत्रकारो को ही दी गई जो परिषद में मलाई मार रहे अधिकारी-कर्मचारी के खास है। जो सत्य का आईना दिखाते है उन्हे इस जानकारी से भी अछूता किया गया। परिषद में वर्षो से जमे कर्मचारियों का दबदबा है। आमजन क काम बिना चपले घिस्से कोई करता ही नही। मुह में राम बगल में छूरी वाले अधिकारी भी इस परिषद में कबसे ढेरा जमाए बैठे है। परिषद चुनाव में ये चुनाव आयोग की निगाह से भी बच गए है। अब देखना है ये ओर कितना बंठाधार करते रहेंगे। कभी सेठ के चेहेते थे अब मोटा भाई के।

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