14 साल बाद खिला ब्रह्म कमल, दर्शन के लिए उमड़े लोग

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झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
ब्रह्म कमल पेटलावद में इस परिवार के घर ऐसा फूल खिलाए जो 14 वर्ष में एक बार खिलता है। आप भी करिये दर्शन रात में खिलता है यह अद्भूत फूल जिसने देखा उसकी हर इच्छा भी पूर्ण हुई। पेटलावद के मोदी परिवार का एक घर अचानक अनूठी खुशबू से महक उठा। इस अनजानी खुशबू का स्त्रोत तलाशते हुए घर के लोग बगीचे में जा पहुंचे। वहां सालों पहले लगाए एक पौधे में ब्रह्मकमल खिल रहा था। अनोखीलाल मोदी ने सालों पहले ये पौधा लगाया था। हालांकि इससे पहले यहां फूल नही खिले थे। प्रकृत्ति से जुड़ी हर चीज बहुत खूबसूरत है चाहे वो नदियां हो या तालाब, फूल हों या पेड़-पौधे ये सभी न सिर्फ आकर्षक हैं बल्कि कई ऐसे गुणों से लेस भी हैं जो मानव हित के काम आते हैं। इनमें से कुछ तो पूरी तरह दैवीय शक्ति वाले माने जाते हैं। वृक्षों में पीपल और बरगद के पेड़ को ईश्वरीय शक्ति का प्रतीक माना गया है नदियों में तो लगभग सभी पवित्र नदियां दैवीय अस्तित्व रखती हैं वहीं अगर फूलों की बात करें तो एक फूल ऐसा है जिसेके विषय में भले ही कम लोग जानते हों लेकिन यह इसकी अलौकिक शक्ति को कम नहीं करता।
ऐसा होता है ब्रह्मकमल
असली ब्रह्म कमल चमकते सितारे जैसा होता है। खिलने पर उसमें ब्रह्म देव या त्रिशूल की आकृति उभर आती है। ये बहुत ही दुर्लभ होता है। ये साल में सिर्फ एक बार ही खिलता है और सिर्फ एक रात तक ही खिला रहता है। ये अकेला ऐसा फूल है जो रात में खिलता है और सुबह होने के पहले मुरझा जाता है। इसकी सुगंध बहुत ही दिव्य होती है। इसे भगवान ब्रह्मा का आसन कहा जाता है। ब्रह्म कमल, इसे स्वयं सृष्टि के रचयिता ब्रह्माजी का पुष्प माना जाता है। हिमालय की ऊंचाइयों पर मिलने वाला यह पुष्प अपना पौराणिक महत्व भी रखता है। इस फूल के विषय में यह माना जाता है कि मनुष्य की इच्छाओं को पूर्ण करता है। यह कमल सफेद रंग का होता है जो देखने में वाकई आकर्षक है। इसका उल्लेख कई पौराणिक कहानियों में भी मिलता है।
पौराणिक मान्यताएं
ब्रह्म कमल से जुड़ी बहुत सी पौराणिक मान्यताएं हैं जिनमें से एक के अनुसार जिस कमल पर सृष्टि के रचयिता स्वयं ब्रह्मा विराजमान हैं वही ब्रह्म कमल है। इसी में से कि सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी की उत्पत्ति हुई थी।चूर हुआ था भीम का घमंड महाभारत में भी ब्रह्मकमल का उल्लेख आता है। किंवदंती के अनुसार द्रोपदी के कहने पर भीम ब्रह्म कमल लेने बद्रीनाथ जाते हैं। रास्ते में हनुमानजी अपनी पूंछ को फैला कर बैठे मिलते हैं। वो भीम से पूंछ हटा कर किनारे रख देने का आग्रह करते हैं लेकिन भीम पूरी ताकत लगा देने के बाद भी उनकी पूंछ हटा नहीं पाते। बाद में हनुमानजी उन्हें दर्शन देते हैं और कहते हैं कि बलवान को बल का अभिमान नहीं करना चाहिए। बाद में भीम हनुमान जी से आज्ञा लेकर ही बदरीकाश्रम से ब्रह्म कमल लेकर आते हैं।
इच्छा पूर्ति वाला कमल
इस कमल से संबंधित एक बहुत प्रचलित मान्यता कहती है कि जो भी व्यक्ति इस फूल को देख लेता है उसकी हर इच्छा पूर्ण होती है। इसे खिलते हुए देखना भी आसान नहीं है क्योंकि यह देर रात में खिलता है और केवल कुछ ही घंटों तक रहता है। यह फूल 14 साल में एक बार ही खिलता है जिस कारण इसके दर्शन अत्यंत दुर्लभ है। इस दौरान डॉ. एस के महाजन राहुल शुक्ला ब्रह्मकमल का दर्शन लाभ लिया और पूजा की।

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