भगवान भाव के भूखे : पंडित नरेंद्र दवे

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झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट
हे पुरण परमात्मा विश्व बने धर्मात्मा यहीं हमारी प्रार्थना जैसे भजनों के साथ नगर के लक्ष्मीनारायण मंदिर पर सात दिवसीय विष्णु महापुराण सप्ताह ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है जिसमें कथा वाचक आचार्य पंडित नरेंद्र नंदन दवे ने कथा का वाचन करते हुए कहा कि भगवान भाव के भूखे होते है। श्रद्वा और पवित्र मन से किया हुआ हर कार्य उन्हें अच्छा लगता है और उस भक्त पर वे जल्दी प्रसन्न होते हैं। आप भगवान को हजारों प्रकार के भोजन की प्रसादी लगा दो किंतु भाव से उसमें आपने एक तुलसी पत्र रख दिया तो उसे वह तुरंत ग्रहण कर लेते है। इसलिए हमें आडंबर विहीन सच्ची भक्ति करना चाहिए तथा समाज में भी यह संदेश देना चाहिए की भगवान किसी दिखावे के नहीं बल्कि भाव के भूखे है। पं. दवे ने आगे कहा कि भगवान ने जो भी लीलाएं की है वह केवल मनुष्य को सद्मार्ग पर लाने के लिए की है। उन्होंने कई प्रसंगों के माध्यम से संबंधों को निभाने की कला दी है। मित्रता करों तो कृष्ण सुदामा जैसी, प्रेम करों तो राधा जैसा,भाई हो तो बलराम जैसा, मां हो तो देवकी और यशोदा जैसी इन सभी प्रकार की लीलाओं के माध्यम से प्रभु ने एक अच्छे समाज निर्माण की प्रेरणा दी है। पंडित दवे द्वारा विष्णु भगवान के सम्पूर्ण अवतारों की कथा सुनाते हुए 24 अवतारों के बारे में विस्तृत जानकारी दी तथा भक्तों को बताया कि जब भी भगवान ने धरती पर अवतार लिया है किसी के विनाश के लिए नहीं बल्कि सृजन के लिए अवतार लिया है। भगवान ने रामायण में स्वयं कहा है कि मनुष्य, गाय, ब्राम्हण और दिन दुखियों को उद्धार के लिए मैने जन्म लिया है। कहीं भी भगवान ने कंश या रावण को मारने की बात कहीं है। इस प्रकार लगातार सात दिनों से राठौड़ समाज के लक्ष्मीनारायण मंदिर पर धर्म की गंगा बह रही है जिसका लाभ समाजजनों के साथ सैकडों श्रद्धालु ले रहे है।

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