नगर परिषद चुनाव में उपेक्षा से ब्राह्मणों में रोष

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झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड की रिपोर्ट-
भारतीय जनता पार्टी में जहां पार्षद टिकट घोषित करने के लिए संगठन को काफी जद्दोजहद करना पड़ी तो उसमें वरिष्ठों ने जातिगत समीकरण बैठाने का भी प्रयास किया लेकिन स्थानीय नेताओं से राय मशविरा नहीं होने के चलते भाजपा ने खुले रूप से ब्राह्मणों की उपेक्षा टिकट वितरण में की है। विशेषकर ब्राम्हण समाज की दोनों ही पार्टियों ने पूरी पूरी उपेक्षा की है।
पूर्व में भाजपा मंडल अध्यक्ष और पूर्व पार्षद रहे दिनेश व्यास ने भाजपा के इस उपेक्षा भरे निर्णय का विरोध करते हुए कड़े शब्दों में निंदा की है। व्यास ने आरोप लगाया कि भाजपा ने ब्राम्हणों को वोट बैंक तो समझा लेकिन महत्व में सबसे पीछे वाली पंक्ति में रखा। व्यास ने कहा भाजपा को स्थानीय चुनावों के साथ आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में भी यह उपेक्षा भारी पड़ेगी। नगर परिषद पेटलावद का 100 वर्षों का इतिहास देखा जाए तो हर बार परिषद में ब्राम्हणों का प्रतिनिधित्व रहा है सबसे पहले गोरीशंकर व्यास, फिर राजेंद्र व्यास, करीब चार दशक तक अध्यक्ष पद पर रहे. दुर्लभरामजी भट्ट,पं.भीमाशंकर शुक्ला, हरेंद्र शुक्ला, पं.नरेद्र नंदन दवे, किरण हरेंद्र शुक्ला, दिनेश व्यास, लता जानी, विनोद पुरोहित पार्षद, अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के रूप में नगर परिषद में प्रतिनिधित्व करते आए है। इस बार भाजपा ने भारी उपेक्षा करते हुए एक भी वार्ड में ब्राम्हणों को प्रतिनिधि को टिकट नहीं दिया, जबकि अनारक्षित वार्ड से जहां ब्राम्हणों के अलावा अनारक्षित वर्ग का अधिकार बनता था उनकी उपेक्षा की गई है। नगर के विभिन्न वार्ड जो अनारक्षित थे, से विनोद पुरोहित, महेश व्यास, विजयालक्ष्मी चतुर्वेदी ने ब्राम्हण प्रतिनिधि के नाते टिकट मांगा था लेकिन पार्टी ने इन स्थानों पर भी इनको महत्व नहीं दिया।
निर्दलीय मैदान में रहेगे.
100 साल के इतिहास को कायम रखने के लिए वार्ड क्र.14 से महेश व्यास और वार्ड 6 से विजयालक्ष्मी चतुर्वेदी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में डटे हुए है। देखना है कि इस बार इतिहास कायम रहता है या टूटता है।

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