आजक संगठन ने मांगों को लेकर सौंपा ज्ञापन

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झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
अनुसूचित जाति-जनजाति अधिकारी एवं कर्मचारी संघ ने आज शासकीय अधिकारियों-कर्मचारियों पर अनावश्यक व भेदभावपूर्ण कार्रवाई व व्यवहार को लेकर नायब तहसीलदार गजराजसिंह सोलंकी को राज्यपाल के नाम एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में बताया गया कि मध्यप्रदेश के विभिन्न विभागों में पदस्थ अनुसूचित जाति-जनजाति के अधिकारियों-कर्मचारियों के साथ आए दिन शासकीय तौर पर अनवाश्यक कार्रवाई के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार के साथ बिना किसी ठोस कारण के निलंबन की कार्रवाई करना, प्रशासकीय प्रक्रिया का पालन किए बगैर सीधे निलंबन की कार्रवाई, संविदा में पदस्थ कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त करना, विभागीय जांच करना, विभागीय जांच को अनावश्क रूप से लंबित रखना, जानबूझकर दुरुस्थ स्थानों पर स्थानांतरण करना, चरित्रवाली में दुर्भावना से प्रेरित होकर प्रतिकुल टीप अंकित करना, राजनैतिक दुर्भावना एवं पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर कार्रवाई करने को लेकर अजजा के अधिकारियों-कर्मचारियों में रोष बढ़ता जा रहा है। इन कार्रवाइयों में रतलाम में पदस्थ सीईओ लक्ष्मणसिंह डिंडोर के खिलाफ राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित होकर निलंबन की कार्रवाई की गई, तो पटवारी हल्का क्षेत्र आम्बा के ब्लॉक रामा के पटवारी लालसिंह गणावा के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई के साथ बड़वानी जिले के पानसेमल के बीट वनरक्षक मुकेश वर्मा पर जातिगत दुर्भावना से प्रेरित होकर निलंबन की कार्रवाई की गई।
ज्ञापन में बताया गया कि मप्र शासन सामान्य प्रशासन विभाग के परिपत्र एफ-7-35/97/आ.प्र/1 भोपाल 12 नवंबर 1997 में स्पष्ट उल्लेख है कि अनुसूचित जाति-जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग के कर्मचारियों-अधिकारियों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार न करके इन वर्गों के कर्मचारियों के साथ सेवा संबंधी मामलो में उदारता एवं सद्भावनापूर्वक कार्रवाई की जाए, और यह भी उल्लेख है कि इन कर्मचारियों-अधिकारियों से गलती होने पर सर्वप्रथम समझाइश दी जाकर उनके कार्य व्यवहार में सुधार की चेतावनी दी जाए, उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई गोपनीय प्रतिवेदनों में प्रतिकूल टिप्पणियां कोई ठोस आधार हो तो ही पूर्ण विचारोपरांत की जाए। कर्मचारी-अधिकारी संगठनों ने जिन अजजा कर्मचारियों पर निलंबन की की कार्रवाई की गई है उन्हें बहाल करने के साथ जिन कर्मचारियों पर विभागीय जांच चल रही है उनका प्रतिवेदन समय सीमा में प्रस्तुत करने की मांग की गई। इस प्रकार की घटनाओं में पुनरावृत्ति होने पर अनुसूचित जाति-जनजाति के कर्मचारी-अधिकारियों ने आंदोलन किए जाने की चेतावनी दी है।

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