जो काम देवता नहीं कर सकते वह मां करती है : पंडित मोहनलाल

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झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
पुत्रों कुपुत्र भवती- माता कुमाता न भवती यानी पुत्र कुपुत्र हो सकता है किंतु माता कभी भी कुमाता नहीं हो सकती है जो काम देवता नहीं कर सकते वह कार्य देवी कर सकती है और भगवान हर घर में नहीं पहुंच सकते है। इसलिए उन्हें मां की उत्पत्ति की ताकि वे हर घर पहुंच कर मनुष्य की सभी परेशानियों का हल कर सके देवी के नौ अवतारों ने दुष्टों का संहार किया और देवताओं को प्रसन्न किया है। नवदुर्गा रूप ने देवी ने प्रकट होकर कष्टों का निवारण किया है। देवी भागवत के श्रवण मात्र से ही हजारों हजारों पाप नष्ट हो जाते है। उक्त प्रवचन सात दिवसीय देवी भागवत के समापन अवसर पर कथावाचक पंडित मोहनलाल त्रिपाठी अमरगढ़ वाले ने कहे। नगर के माधव कॉलोनी स्थित शिव मंदिर पर शुक्रवार को देवी भागवत का समापन हुआ। इस अवसर नवचंडी हवन का आयोजन भी रखा गया जिसमें भक्तों ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया। इस मौके पर यज्ञ की पूर्णाहुति के साथ महाआरती और महाप्रसादी वितरण का आयोजन भी रखा गया। आयोजन में मुख्य यजमान के रूप में जगदीश पाटीदार, प्रकाश सिर्वी, दिनेश पोरवाल, रामाजी लछेटा सहित कई कॉलोनीवासी उपस्थित थे.

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