झाबुआ लाइव के लिऐ बरवेट से संजय लोढ़ा की रिपोर्ट ॥ देवी अहिल्या विश्व विद्यालय यु तो अपने नाम के रुतबे पर इठलाती रहती है लेकिन हकीकत मे इस विश्व विद्यालय के कारनामे ऐसे नही है कि इसे प्रतिष्ठापूण॔ कहा जा सके..झाबुआ जिले के पेटलावद तहसील की बरवेट निवासी एक युवती की कहानी ने देवी अहिल्या विश्व विद्यालय की पोल खोल दी है दरअसल बरवेट निवासी प्रतिभा राठोर ने सन 2008 मे एम.ए ( अथ॔शास्त्र ) से प्रथम श्रेणी मे सफलता हासिल की थी ओर एक डाक के जरिऐ 2012 मे प्रतिभा ओर परिजनों को पता चला कि प्रतिभा ने गोल्ड मेडल हासिल किया है तब से लेकर लगातार अखबारबाजी भी बहुत हुई ओर पत्राचार भी बहुत किया लेकिन विवि प्रबंधन के कानों पर जु तक नही रेंगी..इस संबध में आनलाइन शिकायत भी की गई लेकिन ठोस कारवाई नही हुई । अंतत दबाव मे आई डीएविवि ने 16 अप्रैल को कुलपति के कक्ष मे प्रतिभा को 2008 का यह गोल्ड मेडल 2015 मे प्रदान किया ।
बडा सवाल–इस पूरे घटनाक्रम से एक बडा सवाल यह उठ रहा है कि आखिर बरवेट की प्रतिभा का डीएविवि ने अपमान क्यो किया ? ओर विवि का यह कैसा मैनेजमेंट है कि किसी को गोल्ड मेडल देना वह 8 साल तक भूल गये ? ओर अगर गलती हो भी गई तो शानदार तरीके से किसी बेहतर मंच पर प्रतिभा को सम्मानित किया जाना चाहिए था ?