तालाब का निर्माण हुए बीता एक वर्ष, श्रमिक मजदूरी के लिए दर-दर की खा रहे ठोकर

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– नियमों के विरूद्ध अधिक गहरा वेस्ट वेयर खोदा गया. जिससे घटिया निर्माण की गई पाल पर कोई असर न हों.
तालाब में आज भी रिसाव जारी है पानी तो भरता ही नहीं है. सब रिस कर निकल जाता है.

झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
पेट भरने के लिए पसीना बहाने वाले दो दर्जन सेे अधिक मजदूरों को पिछले एक वर्ष से अपनी मजदूरी के लिए दर दर की ठोकरे खाने को विवश होना पड़ रहा है। वही मामले की शिकायत जनसुनवाई में होने के बाद भी इन गरीब मजदूरों की सुनने के लिए आला अधिकारी संजीदा नहीं है। ग्रामीण यांत्रिकी विभाग के इस तालाब को ठेके पर लेने वाला ठेकेदार भी इन अपनी मेहनत की कमाई को लेने के लिए भटक रहे मजदूरों को टरका रहे हैं। रोजगार की गारंटी देने वाली इस योजना में क्या गरीबों के पसीने की कमाई को देने की कोई भी गारंटी नही है क्या?
मामले की पड़ताल में इन बेबस और लाचार मजदूरों की व्यथा जानने के लिए निर्माणाधीन तालाब का दौरा किया और देखा कि कुंडला खाली तालाब करीब 49 लाख की इस साइड पर किस तरह कार्य हुआ है। मौके पर उपस्थित महिलाओं और पुरूष मजदूरों में इसी बात का आक्रोश था कि कार्य करवाने के लिए ठेकेदार और उसके आदमी दिन रात लगे रहे, यही नही नाले की कटाई में जेसीबी का भी उपयोग किया गया और मजदूरों और ट्रैक्टरों के भुगतान में सब इंजीनियर और ठेकेदार मनमर्जी से फर्जी तरीके से आहरण कर वास्तविक मजदूरों के हक पर डाका डाल रहे है।
इन श्रमिकों को नहीं मिली मजदूरी
बादर पिता नगजी 3 लोगों की 5 सप्ताह की, मंसुर नाहर सिंह 6 सप्ताह की, मिठूड़ी लक्ष्मण 9 सप्ताह की, कलजी नाहरसिंह 2 लोगों की 6 सप्ताह की, केका भीमा 2 लोगों की 6 सप्ताह की, पुना मांगु 7 सप्ताह की, नाहरसिंह मडिया 9 सप्ताह की, कलसिंग नाहरसिंह 5 लोगों की 9 सप्ताह की, दितुबाई 3 सप्ताह की,हातु फूलजी 6 सप्ताह की और सेना रादु 5 सप्ताह की मजदूरी बाकी है। इसके अलावा और भी मजदूर है जिनका मेहनताना नहीं दिया जा रहा है। यही नहीं मजदूरों का आरोप है कि इंजीनियर ने अधिकारियों से मिलकर जॉबकार्ड से ही हमारे नाम हटा दिए। एक का नाम है और दूसरे का नाम गायब है। हमारे जॉबकार्ड के नंबर है और खाता नंबर दूसरे गांव में रहने वाले आदमी का लगा दिया गया है। हमारी मेहनत की कमाई दूसरें खातों में डालकर निकाल ली गई है।
रसुखदार करवा रहे निर्माण कार्य
मनरेगा योजना के अंतर्गत विभाग को स्वयं मजदूरों से निर्माण कार्य करवाना है किंतु विभाग के इंजीनियर पैसों की लालच में इन कार्यों को अघोषित ठेकेदार के माध्यम से रसूखदार लोगों से करवाते है और अधिक लाभ कमाने के चक्कर में मेहनतकश मजदूरों की मजदूरी तक हजम कर जाते है। जिलेभर में शासकीय निर्माण कार्य ऐसे ही लोगों द्वारा किया जा रहा है वे निर्माण कार्य तो श्रमिकों से करवा लेते हैं और पूरा होते ही भाग जाते हैं।
परेशान बोल-
मैंने 6 सप्ताह तालाब पर काम किया किंतु मुझे मजदूरी नहीं मिली। एक वर्ष से दर दर भटक रही हूं फिर भी सुनने वाला कोई नहीं है। आखिर हमें मजदूरी कब मिलेगी।
– हातु फुलजी, मजदूर ग्राम धोलीखाली
मैं अपाहिज हूं फिर भी पेट के खातिर मजदूरी की और आज एक वर्ष से मजदूरी के लिए भटक रहा हूं। मैं अकेला नहीं मेरे जैसे कई मजदूर है जो की मजदूरी के लिए भटक रहे हैं। ठेकेदार और इंजीनियर की मिलीभगत से हमारे पैसे दूसरों के खातों में डालकर निकाल लिए गए है। – मंसुर नाहर, मजदूर ग्राम जुवानपुरा
मैंने अपने बच्चों को घर पर अकेला छोड़कर मजदूरी की तथा उधार का सामान लाकर घर चलाया पर आज तक मुझे मजदूरी नहीं मिली।
-सेना रादु, मजदूर धोलीखाली
हम परेशान है जन सुनवाई तक शिकायत कर दी है किंतु हमारी सुनने वाला कोई नहीं है। यदि जल्द ही हमारी सुनवाई नहीं हुई तो हमें उग्र आंदोलन करना पड़ेगा। वहीं ट्रैक्टरों के पैसे भी नहीं दिए है। ठेकेदार ने अपने खातें में ही सारे पैसे डलवा लिए, जबकि रोजगार गारंटी में इस प्रकार नहीं हो सकता है। – सुरतान, जुवानपुरा
जिम्मेदार बोल-
इस प्रकार कोई शिकायत आती है तो कार्रवाई की जाएगी। वैसे ऐसा हो नहीं सकता है कि किसी मजदूर की मजदूरी बाकी रही हो फिर भी हम इस मामले को दिखवाते है।
– डीसी अग्रवाल, सहायक यंत्री मनरेगा

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