संपदा में देश की जनजातीय संस्कृति से रूबरू हुआ झाबुआ

May

dsc_7382झाबुआ लाइव के लिए विपल पांचाल की रिपोर्ट-
जनजातीय एवं लोकनृत्य पर एकाग्र सम्पदा जिसमे आकार झाबुआ शहर के लोग जनजातीय संस्कृति से रूबरू हो रहे हैं यहां पर उनके तीज त्योहारों पर करने वाले लोकनृत्य का मंचन किया जा रहा है, जिसमें वहां का परिवेश देखते ही बनता है ऐसे आयोजन से संस्कृति को बचाने का कार्य भी किया गया है। तीन दिन के कार्यक्रम के दौरान गुजरात के राठवा जनजाति की प्रस्तुति बेहद ही सराहनीय थी। राठवा जनजाति भील जनजाति की उपजाति है। यह मुख्यत: झाबुआ-अलीराजपुर जिले के सीमावर्ती गुजरात राज्य के जिले छोटाउदयपुर और बड़ौदा के आसपास निवासरत हैं, इन्हें राठवा कहा जाता है राठ नृत्य ढोल मांदल टिमली शहनाई के स्वर लहरियों के समन्वय से राठ नृत्य किया जाता है यह नृत्य तीज त्यौहार पर किया जाने वाला नृत्य है। इस नृत्य की गति तीव्र होकर नृत्य को आकर्षक और खूबसूरत बनाती है। सम्पदा में राठवा के अलावा उड़ीसा का गोटीपुया, बेग जनजाति का भाग, भारिया जनजाति का भरम, निमाड़ का पटीहारी और गणगौर-राजस्थान का सपेरा लोकनृत्य लोगों को अंत तक अपनी संस्कृति से रूबरू कराते रहे।