टमाटर की ग्रेडिंग मशीन 7 वर्षो से खा रही धूल

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झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
उद्यानिकी विभाग पेटलावद में करीब 7 वर्षो से पड़ी टमाटर गे्रडिंग मशीन अब तक शुरू नही हो पायी मशीन को रखने के लिए बने शेड पर ताला भी कई दिनो से नही खुला मध्यप्रदेश की चुनिंदा नर्सरियों में दी गई इस मशीन को पेटलावद पहुंचे 7 वर्षो से अधिक बीत चुके है। इसके लिए शासन ने एक बड़ा शेड भी बनाया लेकिन वहां पड़ी मशीन धूल खा रही है। वही झाबुआ जिले की पेटलावद तहसील में टमाटर की खेती अधिक मात्रा में होती है यहां के टमाटर दूसरे राज्यों में भी भेजे जाते है। वही इसे देखते हुए शासन दवारा पेटलावद तहसील में इस मशीन का उपयोग हो इस लिए यह मशीन जिले को छोडकर पेटलावद के उद्यानिकी विभाग को दि गयी मशीन की अनुमानित कीमत 16 लाख है लेकिन करीब 7 वर्षो से इस टमाटर ग्रेडिंग मशीन का उपयोग व प्रचार-प्रसार विभाग द्वारा नही किया गया, जब इसके बारे में विभाग के अधिकारी सुरेश इनवाती से ने जानकारी मांगी तो उन्होंने बताया कि किसान इसमेें रुचि नही ले रहे है। वही मशीन को ऑपरेट करने के लिए विभाग दवारा कोई अनुभवी ऑपरेटर की नियुक्ति शासन द्वारा पेटलावद में नहीं की है।। वही विद्युत कनक्शन भी शेड में नहीं होना बताया गया।
क्या है टमाटर गे्रडिंग मशीन के फायदे
टमाटर ग्रेडिंग मशीन से गोल आकार में आने वाली फसल में गेडिग होगी ग्रेडिग एक प्रकार का कोटिंग होगा जो टमाटर पर चढ़ जाने के बाद उसकी मियाद 8 से 10 दिन बढ़ जाती है। यानी जो टमाटर 3 दिन चलता है वह 10 दिन चलेगा इससे टमाटर जल्दी खराब नहीं होगा। पेटलावद से दिल्ली की और भेजे जाने वाले टमाटर की दूरी अधिक होने के कारण कही मर्तबा टमाटर खराब हो जाते है और किसानों को टमाटर का उचित मूल्य नही मिल पाता है। इसलिए शासन ने यह मशीन पेटलावद क्षेत्र में भेजी थी, लेकिन विभागीय अधिकारियों की लापरवाही मशीन धूल खा रही है और किसानों की फसल टमाटर भी खराब हो रही है।

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