बैतुके फर्जी नोटिस भेजने पर दुकानदार हुए नगर पंचायत के खिलाफ लामबंद

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झाबुआ लाइव के लिए थांदला से रितेश गुप्ता की रिपोर्ट-
नगर परिषद थांदला जो कि विगत 4 वर्षो से लगातार नगर में कई ऐसे कार्य करवा रही है जिनसे नगर एवं नगरवासियों के हितों को नुकसान पहुंच रहा है। नगर में कई भवन जीर्ण-शीर्ण है व धराशायी होने की कगार पर है, परंतु उन्हें गिराने की सुध नगर पंचायत नहीं ले रही, इसके उलट नगर पंचायत की ही निर्मित दुकानों के लीज किरायेदारों को ही बेतुके व फर्जी नोटिस बार-बार भेजकर सिर्फ अवैध वसूली एवं निर्माण के नाम जनता के धन का दुरुपयोग करने में नगर पंचायत व्यस्त है। गौरतलब है कि नगर परिषद नगर द्वारा पुरानी नगर पंचायत भवन के समीप बने आदिवासी शेड भवन को धराशायी कर छोड़ दिया गया, महात्मा गांधी मार्ग पर भी दो दुकानों का निर्माण अधूरा छोड़ खंडहर बना रखा है तो इसी मार्ग पर कुम्हार बाजार में प्रस्तावित चार दुकानों का निर्माण न किया जा रहा व उस भूमि पर अतिक्रमण करवा दिया गया। आजाद मार्ग स्थित नगर पंचायत का पुराना पोस्ट ऑफिस भवन की दीवार धराशायी होने से चार मजदूरों की मौत हो जाने से श्रम न्यायालय में प्रकरण विचाराधीन होने के बावजूद यहां भी प्रस्तावित चार दुकाने बनाकर देने के बजाय मात्र अपने चहेतों को कम दर पर दिए जाने की लालसा में नीलामी की प्रक्रिया की कार्रवाई की गई। केशव उद्यान को भी आमजनों के मनोरंजन हेतु तैयार किये जाने के बजाय वहां पर भी दुकाने निकालकर भ्रष्टाचार एवं लाभ का स्त्रोत बनाया जा रहा है। इसी तरह नगर मे ऐसे कई कार्य है जो नगर परिषद द्वारा मात्र आम जन को परेशान करने हेतु किये जा रहे है। इसी क्रम में नगर परिषद द्वारा पीपली चौराहा स्थिति विश्रांति भवन की दुकानों जो कि जीर्ण-शीर्ण बताकर पुन: निर्माण किए जाने के नाम धराशायी किए जाने का प्रयास नगर परिषद द्वारा किया जा रहा है, जबकि दुकानों का संचालन कर रहे दुकानदारों का कहना है कि दुकानों की स्थिति जीर्ण-शीर्ण नहीं है एवं अगले 20 वर्षो तक इन्हे किसी प्रकार नुकसान नहीं होगा। दुकानों के ऊपर बने भवन की मात्र गैलेरी जीर्ण-शीर्ण हो रही है जो कि नगर परिषद द्वारा आये दिन लगाये जा रहे होर्डिग्ंस की वजह से टूट चुकी है। मगर भवन पूरी तरह सुरक्षित एवं अच्छी अवस्था में है परंतु उसे भी नपं द्वारा खंडहर बनाकर नीलाम करने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है।
जीर्ण-शीर्ण तो होर्डिग्स क्यों?-
नगर परिषद द्वारा आये दिन बधाई संदेश-आयोजनों एवं विकास कार्यो का ढोंग रचाने के लिए पीपली चौराहे के इस भवन को होर्डिग्स से लाद रखा है जिस कारण भवन कि गैलेरी टूट चुकी है। अब अगर भवन जीर्ण-शीर्ण है तो नगर परिषद द्वारा होर्डिग्ंस लगाने हेतु इसका उपयोग क्यों कर रहा है?
जनसुनवाई मे दिया मामला-
दुकानदारों द्वारा उक्त मामले को जन सुनवाई के माध्यम से जिला कलेक्टर को भी रुबरु करवाया गया। 22 नवंबर में कलेक्टर की जनसुनवाई में दुकानदारों द्वारा आवेदन देकर उक्त मामले की शिकायत की गई।
आए दिन दे रहे नोटिस-
पीपली चौराहे स्थित इस भवन की दुकानों के दुकानदारों रजनीकांत पालरेचा, कन्हैयालाल परिहार, हरिवि_ल अरोरा, कुन्दन अरोरा, मनोज ईश्वरचन्द्र गिरी को नगर परिषद थांदला द्वारा यात्री प्रतीक्षालय पर निर्मित 5 दुकानों को मध्यप्रदेश नपा अधिनियम 1961 की धारा 109 के तहत अचल संपत्ति अंतरण नियम के अंतगत मासिक किराये दारी पर 30 वर्षो की राइट ऑफ कम्युनिकेशन पद्धति अनुसार सार्वजनिक घोष पर 21 मार्च 1988 को दी गई थी। जिसकी समयावधि 21 मार्च 2018 के पश्चात समाप्त होगी एवं नगर परिषद द्वारा उक्त दुकानों पर प्रति 3 वर्ष 15 प्रतिशत किराए की राशि में बढ़ोतरी किए जाने का पालन भी दुकानदारों द्वारा किया जाकर नियमित किराया भी अदा किया जा रहा है परन्तु फिर भी नगर परिषद द्वारा आये दिन दुकानदरों को दुकाने खाली करने हेतु नोटिस देकर मानसिक रुप से प्रताडि़त किया जा रहा है।
एसडीएम कोर्ट ने किया खरिज-
21 जुलाई 2015 को तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी थांदला के न्यायालय द्वारा भवन के जीर्णशीर्ण किए जाने के परिषद के मामले में प्रस्तुत वाद को दुकानदारों के हित में प्रकरण खारिज कर दिया गया था फिर भी नगर पंचायत नोटिस देने का क्रम जारी रखे हुए हैं।
भ्रष्टाचार का माध्यम-
नगर मे हो रहे घटिया निर्माण एवं भ्रष्टाचार के चलते नगर परिषद हमेशा सुखियों मे रही है। पीपली चौराहे के इस भवन को भी नगर परिषद धराशायी कर पुन: निर्माण के नाम पर भ्रष्टाचार अथवा अपने चहेतों को नीलामी की आड़ में कम कीमत मे दिये जाने की नियत से भवन के जीर्ण-शीर्ण होने की रिपोर्ट तैयार की जा रही है। गौरतलब है कि नगर परिषद द्वारा 2250 रुपए की दर से निर्माण किया जा रहा है जबकि नगर मे अन्य कार्य 500-600 रुपए की दर से आसानी से किया जा रहा है।
जिम्मेदार बोल-
विश्रांति भवन को तोड़े जाने हेतु दुकानदारों को दुकाने खाली करने के नोटिस दिए गए हैं। लीज अभी समाप्त नहीं हुई है। विश्राम भवन को तोड़ कर नई दुकाने बनाई जाएगी। वही पुराने दुकानदारों को ही पुन: दुकाने की दी जाएगी, जिसकी लिखित प्रति दुकानदारों को दी गई है।
                                             – शीतल जैन, प्रभारी सीएमओ

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