अनैतिकता व टैक्स चोरी कर कमाया धन ही काला धन है : मुनिश्री चैतन्य

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झाबुआ लाइव के लिए बामनिया से लोकेंद्र चाणोदिया की रिपोर्ट-
आचार्य तुलसी राष्ट्र को सुकून देने वाले थे, समाज और राष्ट्रीय हितों के साथ विश्व शांति उनका लक्ष्य था। मानव सेवा करते हुए भी उन्होंने परिस्थितियों के सामने घुटने नहीं टेके। प्राणी मात्र के प्रति करूणा अनुकंपा और मैत्री का भाव लेकर चले, राष्ट्रीय स्तर पर उभरने वाली अनेक समस्याओं का समाधान उन्होंने दिया। संसद में गतिरोध हो चाहे राजीव-लोंगोवाल वार्ता हो, हर समस्या का समाधान कर राष्ट्र को सुकून दिया। बाल्याकाल से अंतिम समय तक समाज और राष्ट्र में हित में सदैव सजग रहे। उक्त बात तेरापंथ भवन बामनिया में आचार्य तुलसी की मासिक पुंण्य तिथि पर आयोजित राष्ट्रीय संत तुलसी का राष्ट्र को शांति का पैगाम विषय पर तपोमूर्ति मुनिश्री पृथ्वीराज जसोल ने धर्मसभा में व्यक्त किए।
संपूर्ण व्यक्तित्व के धनी थे आचार्य तुलसी-
मुनि अमन चैतन्य कुमार अमन ने कहा कि आचार्य तुलसी संपूर्ण व्यक्तित्व के धनी थे, महान सृजन धर्म, कलात्मकता, अपराजेय व्यक्तित्व, पराक्रम धृति संपन्न लक्षण क्षमता, निर्णयशक्ति के द्वारा सदा विकास की संभावना को तलाशते रहे। वे एक महापुरूष थे जिनमे समुद्र सी गहराई व पर्वत सी ऊंचाई थी, जिनकी अनुशासन कला बेजोड़ थी, वायु सी गति और पृथ्वी सी सहनशीलता के द्वारा सुयश को प्राप्त किया, ऐसे महामानव से ही भारत सहित विश्व के अनेक देशों के उच्च पदस्थ लोग प्रभावित होकर प्रकाशित होते रहे।
धन की लालसा बनती हैं पीड़ा-
मुनि अतुल कुमार ने कहा कि आचार्य तुलसी में धार्मिक चिंतन के साथ लोक चिंतन की भावना थी, सामाजिक चिंतन वहीं करता है, जिसके भीतर लोक कल्याण की भावना होती है। उन्होंने उपासना और कर्मकांड को अधिक महत्व नहीं दिया। धर्म को आचरण करने का जोर दिया, अति संग्रह और अनैतिक आचरणों से कमाया गया धन अंतत: दुखदायी होता है। आज जो मोदी काले धन की बात कह रहे हैं, उसमें काला धन वहीं होता है जो अनैतिकता व टैक्स चोरी शामिल है। आचार्य तुलसी ने अणुव्रत के जरिए मानव को यह सीख दी थी, किंतु आदमी धन की लालसा के कारण ऐसे कर्तव्य करता है, जो उसकी पीड़ा का कारण बनती है। कार्यक्रम का मंगलाचरण पुष्पा मेहता ने किया। स्वागत अभिनंदन पंकज मेहता ने किया। तेरापंथ सभाध्यक्ष पेटलावद के झमकलाल भंडारी अणुव्रत समिति के बसंतीलाल पटवा, राजेश बम ने विचार व्यक्त किए। आभार देवेन्द्र जैन ने माना।

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