झाबुआ Live के लिए ” दिनेश वर्मा ” की EXCLUSIVE रिपोर्ट । शहीद की स्मृति मे आयोजित ” कबडडी टूर्नामेंट में ” पाकिस्तान-चीन ” के झंडो का ट्रेक ।
खिलाड़ियों ने रोंदकर खेली कबडडी ; दी शहीदों को श्रंदाजलि ।
झाबुआ जिला मुख्यालय पर कल देर रात शहीद भगवानलाल मिंडकिया” की स्मृति मे एक राज्य स्तरीय ” कबडडी” टूर्नामेंट का शुभारंभ हुआ जिसमें देश के शहीद सैनिको को एक अनोखे अंदाज मे श्रंदाजलि दी गयी । दरअसल इस तीन दिवसीय आयोजन के लिए खिलाड़ियों के लिए जो ” कबडडी” ट्रेक बनाया गया था उसमें एक तरफ पाकिस्तान तो दूसरी ओर चीन का झंडा था जिस पर खेलकर ओर झंडो को रोंदकर खिलाड़ियों ने शहीदों को श्रंदाजलि दी ओर सैनिको के प्रति अपना सम्मान ओर चीन – पाकिस्तान के प्रति अपना रोष भी जता दिया । इस आयोजन मे प्रदेश के विभिन्न जिलों की टीमें हिस्सा ले रही है ।
पूव॔ सैनिकों के सम्मान के साथ भारत माता की आरती कर किया शुभारंभ
इस आयोजन का शुभारंभ ” पांच ” पूव॔ सैनिकों को मंच पर बुलाकर उनका पुष्प माला से सम्मान किया गया उसके बाद भारत माता की आरती कर जयघोष के साथ इस राज्य स्तरीय कबडडी टूर्नामेंट का शुभारंभ किया गया ।
इसलिए बनाया पाकिस्तान / चीन का झंडा ट्रेक
आयोजकों मे से एक ” अंबरीश भावसार ” जिन्होंने पाकिस्तान / चीन के झंडे वाला ट्रेक बनाया ” कहते” है कि ” हमारे देश की वसुदेव कुंटूबंकम” की भावना है इसलिए हम किसी देश पर आक्रमण नहीं करते लेकिन हमारे सैनिक चीन/ पाकिस्तान के षड्यंत्र से शहीद होते है हमने यह रांगोली के रंगों से उनके झंडो का ट्रेक बनाकर यह संदेह दिया है कि झाबुआ देश के सैनिकों के साथ ओर चीन – पाकिस्तान के गठबंधन के खिलाफ है। इस ट्रेक पर कबडडी का पहला मैच खेलते वाले झाबुआ के ही युवक अंकित कहते है कि मुझे इस ट्रेक पर खेलकर ऐसा लगा मानो मे पाकिस्तान- चीन से एक साथ जंग लड रहा हुं । वास्तव मे हम सभी हमारे शहीदों के साथ है । आयोजन को देखने आये ” गोपाल नीमा” कहते है कि इस आयोजन के जरिए हमें जिले के शहीद के बारे मे पता चला ओर आयोजन इतना शानदार संदेश दे रहा है पाकिस्तान/ चीन को इस आदिवासी अंचल से उठ रही भावनाओं को समझना चाहिए ।
2004 मे त्रिपुरा मे शहीद हुए थे ” भगवानलाल मिंडकिया”
चीन ओर पाकिस्तान के झंडो वाले ट्रेक पर हो रही राज्य स्तरीय कबडडी टूर्नामेंट ” झाबुआ जिले के तारखेडी” गांव के रहने वाले शहीद ” भगवानलाल मिंडकिया” की स्मृति मे हो रहा है । शहीद मिंडकिया त्रिपुरा राइफल ” मे राइफलमैन थे ओर त्रिपुरा मे ही ” टकरझाला” पोस्ट पर घुसपैठियों से लड़ते हुए शहीद हो खरे थे । शहीद मिंडकिया को वर्दी का इतना शोक था कि वे घर के अनाज को चूराकर उसे बेचकर् त्रिपुरा राइफलस मे भर्ती होने खरे थे ओर पहले ही प्रयास मे चुन लिए खरे थे ।