दशहरा मैदान पर देर रात तक चला अखिल भारतीय कवि सम्मेलन

0

bhupendra barmandliya news for jhabua live 
मेघनगर। वंदे मातरम गु्रप व हितेश पडियार मित्र मंडल के संयोजन में दशहरा मैदान पर शनिवार रात आयेाजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में देर रात तक देश-प्रदेश के ख्याति प्राप्त कवियों ने देशभक्ति, हास्य व्यंग्य, श्रृंगार रस, गीत गज़ल की कविताओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। गु्रप के प्रमुख संयोजक नटवर बामनिया, समाजसेवी हितेश पडियार, कैलाश पडियार के विशेष प्रयासों से वंदे मातरम् का पहला अखिल भारतीय आयोजन अपनी अमिट छाप छोड़ गया। कवि सम्मेलन में बतौर अतिथि विधायक कलसिंह भाबर, समाजसेवी सुरेशचंद्र पूरणमल जैन (पप्पु भैया), तहसीलदार केएस गौतम, प्रेमलता मारू, नपा सीएमओ प्रमोद तोष्णीवाल, विनोद बाफना, भरत मिस्त्री, हरिराम गिरधाणी, प्रमोद जैन, भरतसिंह सांकला, मुकेश मेहता, पार्षद आनंदीलाल पडियार, अनूप भंडारी, लाखन देवाना, कालाभाई बसोड़, संतोष परमार आदि ने भी उपस्थित होकर रातभर कविताओं का लुत्फ उठाया। कवि सम्मेलन का शुभारंभ सरस्वतीजी के चित्र पर माल्यार्पण पश्चातशारदेय वंदना से हुआ। नगर के कवि जगदीश राघव ब्रजवासी ने शौर्य व उल्लास की जीत का पर्व है दशहरा कविता से अपनी बात रखी। हास्य कवि मंदसौर से पधारे रामू हटिला ने अपनी हास्य स्टाइल व लघु क्षणिकाओं से श्रोताओं को हंसने पर मजबूर कर दिया। मालवी कवि भारतसिंह गुर्जर व उज्जैन के सुरेन्द्र सर्किट ने हास्य व्यंग्य की छटा बिखैरी, तो कवि सम्मेलन में नेपाल से पधारे कवि लक्ष्मण नेपाली ने पुलिस व पत्नी की समानता पर व्यंग्य के माध्यम से खूब हंसाया। जोबट से आये फिरोज सागर ने मोदी ये बनारस वाला पैरोड़ी से श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। खरगोन के कुमार संभव ने श्रृंगार के गीत, मुक्तक सहित इन पंक्तियों ‘द्वारका के धीश होकर सर्वस्व अपना खो दिया राधिका की याद और कान्हा रो दिया” से अच्छी दात बटौरी। राष्ट्रीय ओजस्वी कवि निसार रंभापुरी जो कि कार्यक्रम के सुत्रधार थे ने सम सामयिक रचना सैनिक के पुत्र की दास्तां बयां करते हुए इन शब्दों में ”तिरंगे में लिपट कर क्यों पापा आए हैं- मुन्ना पूछ रहा कोई नहीं मुझे बात समझाये हैं” से सभी की आंखे नम कर दी। निसार को सफल कार्यक्रम पर गु्रप के वरिष्ठ नटवर बामनिया ने शॉल व श्रीफल भेंट कर सम्मानित भी किया।
एक अजनबी हमें अपना बना गया – उत्तर प्रदेष के हाथरस से पधारी श्रृंगार की कवियित्री मीरा दीक्षित व संचालक संजय शुक्ला के बीच काव्यात्मक नोक झोक का श्रोताओं ने खूब आनंद लिया। मीरा ने जब कहा कि ”नजरे मिलाकर वह प्यार से दिल में समा गया, एक अजनबी हमे अपना बना गया व ”लब थिरकने लगे शायरी हो गयी, पुरी हर आरजू अब मेरी हो गयी, इससे ज्यादा जमाने से अब लेना भी क्या तू मेरा हो गया मै तेरी हो गई से अच्छी दाद बटोरी।
धड़कनों में बसा है वंदे मातरम्- कोटा से पधारे राष्ट्रीय ओजस्वी कवि संजय शुक्ला ने ”जन-जन के मन में बसा है वंदे मातरम, ”हरेक हिन्दुस्तानी की धड़कनों में बसा है वंदे मातरम् गीत के साथ ”जो सरहद पर खड़ा हुआ है उसका कद तो बहुत बड़ा है, वह नीवों में दफन हुआ जब हिन्दुस्तान हुूआ खड़ा हुआ हैसहित ”नहीं मिलेगी केसर क्यारी, नही सुनेंगे हम फरियाद, थाम तिरंगा हाथ में बोलो हिन्दुस्तान जिंदाबाद से देशभक्ति का संचार किया। कवि सम्मेलन का नगर सहित थांदला, झाबुआ, रंभापुर, दाहोद, अगराल, कल्याणपुरा आदि अंचलों से भी आये काव्यप्रेमियों ने आनंद लिया। उक्त कार्यक्रम को सफल बनाने में वंदे मातरम गु्रप के दीलिप ब्रिजवानी, अनिल सोनी, मनीष गिरधाणी, भूरा भाई ठेकेदार, संतोष परमार, रजत कावडिय़ा, मनोज पंचाल, सचिन पंचाल, विक्की प्रजापत, संदीप धनगाया, सुरेश ओझा, बंटू भंडारी, यश पडियार आदि सदस्यों का योगदान सराहनीय रहा।

Leave A Reply

Your email address will not be published.