उच्च शिक्षा के साथ उच्च संस्कारों भी सीखे ताकि जीवन शव नहीं शिव बने : मुनि चैतन्य कुमार

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कार्यक्रम में उपस्थित जनसमुदाय.
कार्यक्रम में उपस्थित जनसमुदाय.

झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
संस्कारों के जागरण में ज्ञानशाला महत्वपूर्ण उपक्रम है. नई पौध को सुसंस्कारी बनाने के लिए गुरूदेव तुलसी के सपनों का साकार रूप देने इस ज्ञानशालाओं का देशभर में चार सौ से अधिक स्थानों पर संचालन हो रहा है। यद्यपि बच्चों के व्यक्तित्व और कर्तव्य निर्माण का प्रयत्न इन ज्ञानशालाओं के माध्यम से हो रहा है। ज्ञानशाला के माध्यम से बच्चों में वैराग्य का भाव बढ़ता है। प्रशिक्षण द्वारा इनमें अनुशासन,विनय, कृतज्ञता के भाव विकसित किए जाते है अत: ज्ञानशाला दिवस पर आचार्य श्री महाश्रमण के सुशिष्य मुनिश्री पृथ्वीराज जसोल ने तेरापंथ भवन में ज्ञानार्थियों प्रशिबकों और अभिभावकों के मध्य कहें।
मुनि श्री चैतन्य कुमार अमन ने कहा- ज्ञानशाला जीवन की सफलता का सुदृढ़ आधार है. सांस्कृतिक मूल्य जीवन की बहुत बड़ी उपलब्धि है, जिसकी सुरक्षा, सम्मान और पालन ज्ञानशाला के माध्यम से ही संभव है। आज के अभिभावक बच्चों की शिक्षा के प्रति जागरूक है किन्तु संस्कारों की दृष्टि से उदासीन नजर आ रहे है। आज बच्चों का व्यवहार असंतुलित हो रहा है। कारण उनका आहार विहार, विचार, संस्कार सब में परिवर्तन हो रहा है, आवश्यकता उच्च शिबा के साथ उच्च संस्कारों की समन्विति हो ताकि जीवन शव नहीं शिव बने।
मुनि श्री अतुल कुमार ने कहा- ज्ञानशाला के बच्चों के जीवन को तराशने का काम करता है। पत्थर में छिपी प्रतिमा को एक शिल्पकार तराशकर उसे पूज्यता का रूप दे देता है इसी प्रकार ज्ञानशाला के माध्यम से बच्चों में छिपी प्रतिभा को उजागर किया जाता है। संस्कारों को प्राप्त कर ये बच्चें स्वयं के साथ परिवार,समाज और राष्ट्र के निर्माण में अपना महत्वपूर्ण यङ्क्षगदान दे सकेंगे। इस अवसर पर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष झमकलाल भंडारी ने अतिथियों का स्वागत अभिनंदन किया। कार्यक्रम पेटलावद ज्ञानार्थियों ने गीत,कविता और परि संवाद के माध्यम से ज्ञानशाला की उपयङ्क्षगिता का जीवंत चित्रण प्रस्तुत किया। रायपुरिया, झकनावद और झाबुआ से समागत ज्ञानार्थियों ने अपनी अभिव्यक्ति द्वारा परिषद को मंत्रमुग्ध कर दिया। मुख्य अतिथि लता जाधव ने सामयिक विचार प्रस्तुत किए। ज्ञानशाला दिवस कार्यक्रम में पेटलावद से 55, झाबुआ से 9, झकनावदा से 14 और रायपुरिया से 6 कुल 84 ज्ञानार्थियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। इसकेअतिरिक्त करीब 25 प्रशिक्षिकाओं की भी उपस्थिति थी। तेरापंथी सभा, तेरापंथ महिला मंडल और युवक परिषद के सभी पदाधिकारियों और सदस्यों का भी अच्छा सहयोग रहा। कार्यक्रम दो सत्रों में विधिवत चला. संचालन का दायित्व महिला मंडल अध्यक्ष पुष्पा पारलेचा और आभार रेखा पारलेचा ने माना।

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