चच॔ कैंपस मे ” नोवैना” गरबे का दोर , झूम रहे है लोग

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झाबुआ Live के लिए ” विपुल पांचाल ” की EXCLUSIVE रिपोर्ट ।

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पश्चिमी मध्यप्रदेश के आदिवासी अंचल ” झाबुआ ” मे इन दिनों एक खास तोर पर गरबे खेले जाते है । दरअसल मां मरियम की माता की तरह आराधना कर ” गरबा ” खेला जाता है ओर इस खास अवसर को ” नोवैना” यानी 9 दिन का उत्सव कहा जाता है । दिलचस्प बात यह है कि इस खास अवसर यानी ” नोवैना” को नवरात्रि के आसपास नही बल्कि अपनी सुविधा अनुसार कभी भी आयोजित किया जा सकता है कुछ चच॔ मे यह आयोजित विगत पखवाड़े हुआ तो कुछ मे 21 अक्टूबर से होगा । इन नोवैना पव॔ की खास बात यह भी है कि यह उन चच॔ कैंपस मे आयोजित होता है जिनके नाम ” मदर मैरी या मरियम” के नाम पर होते है । आदिवासी बहुल झाबुआ जिले मे ऐसे 5 चच॔ है । कैथोलिक डायोसिस झाबुआ के प्रवक्ता ” फादर राकी शाह ” कहते है कि दरअसल यह एक पूजा पद्धति है जो स्थानीय पूजा – संस्कृति को देखते हुए अपनाई जाती है हालांकि ” फादर राकी शाह ” कहते है कि ” नोवैना” लेटिन भाषा का शब्द है । ओर संयोग से नवरात्रि शब्द से मिलता जुलता है । डुंगडीपाडा के मदर मैरी चच॔ मे विगत दिनो आयोजित ” नोवेना” के गरबों मे जमकर ग्रामीण थिरकते नजर आये । पूरे ही गरबा पैट॔न पर बजाये जा रहे गीतो मे गरबा गीतो की धुन , सजावट काफी मिलती जुलती थी । फादर राकी शाह कहते है कि हमे गव॔ है कि स्थानीय तरीको या नृत्य को हमने अपनी पूजा संस्कृति मे अपनाया है । फादर राकी का कहना है कि नोवेना के दोर मे हर दिन विशेष पूजा ओर प्राथ॔ना भी होती है । दूसरी ओर हिंदूवादी संगठन इस ” नोवैना” पव॔ को आशिंक रुप से  संदेह की दृष्टि से देखते है । बीजेपी के ” अंबरीश भावसार ” कहते है कि ” भारत एक लोकतंत्र है ओर यहां पर सभी को अपने अपने धम॔ के अनुसार पूजा पद्धति की आजादी है इसलिए ” नोवैना” भी होता है लेकिन भावसार यह भी कहते है कि हमारे सनातन धम॔ की पूजा पद्धति को अपनाना यह भी साबित करता है कि आपको यहां तभी स्वीकाय॔ता मिलेगी जब आप स्थानीय तोर तरीके अपनाओगे । भावसार यह भी कहते है कि कही ना कही ” नोवैना” का एजेंडा संदेहास्पद है । इस पूरे मसले पर कैथोलिक डायोसिस झाबुआ के प्रवक्ता फादर राकी शाह कहते है कि ” नोवैना” आज से नही बल्कि कई सालो से मनाया जा रहा है ओर इसमे कोई छिपा एजेंडा नही है बल्कि साफ सुथरा एजेंडा ही है । दुसरी तरह इस तरह के ” नोवैना” पव॔ के दोरान गरबा खेलने वाले ग्रामीणों का कहना है कि हमारे लिए ” गरबा” खेलने एक पूजा भी है ओर अवसर भी है ग्रामीण अंचलों मे बने इन चच॔ मे गरबा खेलने वाले हिंदू धम॔ को मानने वाले भी होते है तो कई प्रभू ईसु को अपना चुके होते है । कुछ साल पहले ईसाई धम॔ अपना चुके है ऐसे ही ” काकनवानी ” गांव के एक युवक ” संदीप डामोर ” कहते है कि ईसाई धम॔ मे ” नोवेना” पव॔ पर गरबा का कोई कांसेप्ट नही है लेकिन स्थानीय लोगो की रुची ओर आस्था के चलते गरबे खेलकर मां मरियम की आराधना अच्छी लगती है । इसी तरह के ” नोवैना” पव॔ पर गरबा खेलने के लिए ” चच॔” जाने वाले हिंदू युवक ” पंकज ” निवासी ” भीमपुरी” कहते है कि मुझे इसमे बुराई नही लगती क्योकि हम तो गरबे खेलने जाते है ओर खेलकर लोट आते है । हमारे ग्रामीण इलाके मे शहरो की तरह गरबे नही होते इसलिए यही अवसर होता है ।

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