प्राचीन ऐतिहासिक स्थल दीपमालिका पर जलाए सैकड़ों दीप

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झाबुआ लाइव के लिए थांदला से रितेश गुप्ता की रिपोर्ट-
सम्पूर्ण अंचल में नवरात्रि के अवसर पर शक्ति की भक्ति के अनुष्ठान चल रहे है तो वही गरबा पांडालों में देर रात्रि तक गरबा रास चल रहा है। प्रतिदिन मंदिरों में आरती के समय श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है तो वही अचंल में प्राचीन ऐतिहासिक धर्म स्थलों पर भी आस्था का सैलाब उमड़ रहा है।
नगर में स्थापित है प्राचीन दीपमालिका 

नगर के मध्य से गुजर रहे थांदला-कुशलगढ़ मुख्य राज्य मार्ग पर नृसिंह-ऋषभदेव मंदिर प्रांगण में प्राचीन दीपमालिका स्थित है नगर में प्रचलित प्राचीन मान्यता अनुसार इस प्राचीन ऐतिहासिक दीपामालिका व मंदिर का निर्माण अनन्य रामभक्त संत मलूकदास खत्री ने करवाया इसके साथ ही मलूकदास खत्री व्दारा नगर में प्राचीन जलकुंड बावडी, रामजी मन्दिर सहित कई स्थानों का निर्माण करवाया था। प्रतिवर्ष प्राचीन दीपमालिका को नृसिंह भक्त मंडल व्दारा वर्ष में दो बार चैत्र नवरात्रि व शरदीय नवरात्रि पर व अनेक उत्सवों पर दीप जलाए जलाए जाते हैं तथा दिपावली के अवसर पर दीपदान किया जाता है। नवरात्रि की महाअश्टमी को महाआरती का आयोजन होता है। परम्परा अनुसार नवरात्रि के अवसर पर प्राचीन दीपमालिका दीपों से जगमगाउठी जो आमजन के लिए आस्था का केन्द्र रहती है प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में श्रृद्धालुजन दीपदान एंव दर्शन हेतु पहुंचते हैं। वही नगर से 5 किलोमीटर दूर ऊंची पहाड़ी पर स्थित प्राचीन स्वयं भू-माता मन्दिर पर भी श्रृद्धालुओ की भीड उमड रही है हर कोई माता के दर्षन करने मन्दिर पहुंच रहा। मान्यता है इस स्थान पर माता स्वयं प्रकट हुई है जिन्हें स्वयं भू माता के नाम से जाना जाता है। हर कोई अपनी मनोकाना लेकर पहुंचता है तथा प्रतिवर्ष चैत्रसुदी पूर्णिमा पर विराट मेले का आयोजन होता है, जिसमें समीप गुजरात एंव राजस्थान प्रांत से भी हजारों की संख्या में श्रृद्धालु पहुंचते है ।

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