जनसंवाद में पशु मित्रों ने लिया भाग, मुर्गीपालन को आजीविका का वैकल्पिक स्त्रोत बनाने की दी सीख

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झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
सम्पर्क समाज सेवी संस्था द्वारा पेटलावद विकासखंड के ग्रामीण एवं कार्यरत पशु मित्र के साथ पेटलावद की कृषि उपज मंडी में जनसंवाद का कार्यक्रम रखा गया। कार्यक्रम में गांव से 125 लोगों ने भाग लिया। सम्पर्क समाजसेवी संस्था के माध्यम से पेटलावद के सभी गांव में मुर्गीपालन परियोजना का क्रियान्वयन किया जा रहा हैं। जिसमें 125 पशु मित्र कार्य कर रहे है। इस पशु मित्रों द्वारा देशी मुर्गियों में टीकाकरण कार्य किया जाता है। साथ ही मुर्गीपालक को बेहतर मुर्गीपालन के गुर सिखाया जाता है। कार्यक्रम में मुख्य रूप से जनपद से एनआरईजीएस प्रकाशचन्द्र दसोरे, एनआरएलएम से धर्मेन्द्र दुबे, उद्यानिकी से इनवाती मौजूद थे।
अधिकारियों से किया संवाद-
पालकों ने अधिकारियों से सीधे संवाद भी किया। अपने मन की जिज्ञासा में उठे प्रश्नों के हल भी पूछे। एनआरईएस से पशुपालन के अंतर्गत शेड मुर्गीपालन के लिए निर्माण किया जाता है। मुर्गीपालन को एनआरईजीएस से निर्माण किये जाने की प्रक्रिया को पूछा।
एनआरएलएम से धर्मेन्द्र दुबे समुह के बारे मे जानकारी दी गई की समूह के माध्यम से भी मुर्गीपालन किया जा सकता है। एनआरएल भी किसी गतिविधि के लिए सहयोग हेतु लिंकेज करवाती है। मुर्गीपालन को समूह से जुड़े हंै तो उसके अनुसार ऋण प्राप्त कर 50-10 मुर्गियों हेतु शेड बनाकर मुर्गियों को पाल सकता है। मुर्गियां पालकर अपनी आजीविका मजबूत कर सकते है। उद्यानिकी विभाग के इनवाती ने अपनी विभाग की योजनाओं के बारे में जानकारी दी।
एनआरईजीएस विभाग से मुर्गीशेड हेतु सहयोग किया जाता है। जिसमें प्रकाशचन्द्र ने ग्रामीणों को बताया कि मुर्गीपालक अपनी मुर्गियों को शेड के रूप पाल सकता है। एनआरईजीएस से 100 मुर्गियों को पालने के लिए शेड प्रस्तावित हैं। जिसके लिए लाभाविन्त होने के लिए ग्रामसभा में अनुमोदन करवाना चाहिए।
संचालन राधेश्याम पाटीदार ने किया।
मुर्गीपालन से हो सकती हैं बेहतर आय
परियोजना समन्वय राजाराम पाटीदार ने बताया कि ग्रामीणों को अपनी आजीविका का वैकल्पिक स्त्रोत बनाना चाहिये हम खेती के साथ-साथ मुर्गीपालन से भी बेहतर आया प्राप्त कर सकते है, जिसके लिए एनआरईजीएस से मुर्गी शेड निर्माण किया जा सकता है, वेटनरी विभाग से कुक्कुट पालन की योजना के माध्यम से 45 चूजे का प्राप्त कर सकते है और एनआरएल विभाग से समुह के लिए ऋण व अनुदान प्राप्त कर सकते है। इन योजनाओं से लाभ कमाकर आगे बढ़ा जा सकता है। ग्राम स्तर पर कार्यरत पशु मित्रों से टीकाकरण एवं मुर्गियों की मृत्यु दर को कम कर मुर्गीपालन को व्यवसाय दृष्टि से अपनाया जा सकता है।
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